• कई उपचुनावों पर संशय के बादल

    बॉम्बे हाई कोर्ट के एक अहम फैसले के बाद देश के कम से कम दो राज्यों में दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं। अगर हाई कोर्ट के फैसले पर अमल हुआ तो बॉम्बे की अकोल वेस्ट सीट के साथ साथ झारखंड की गांडेय और हरियाणा की करनाल सीट पर भी उपचुनाव रूक सकता है। असल में बॉम्बे हाई कोर्ट की दो जजों की बेंच ने अकोला वेस्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए जारी चुनाव आयोग की अधिसूचना पर रोक लगा दी है।  हाई कोर्ट ने कहा है कि अभी इस सीट पर...

  • क्या लालू-तेजस्वी को डराया गया है?

    यह लाख टके का सवाल है कि लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव ने सारे किए धरे पर पानी क्यों फेर दिया? भाजपा और जनता दल यू के खिलाफ विपक्ष की साझा लड़ाई को दोनों ने क्यों कमजोर किया? क्या ये दोनों भी वैसे ही किसी परोक्ष दबाव में हैं, जैसे दबाव में बसपा की प्रमुख मायावती हैं? ध्यान रहे मायावती ने पिछला विधानसभा चुनाव पूरी तरह से निष्क्रिय होकर लड़ा और उसका नतीजा यह हुआ है कि 403 में उनकी पार्टी का सिर्फ एक विधायक जीता। उसी तरह वे लोकसभा का चुनाव लड़ रही हैं। बिहार में लालू प्रसाद और...

  • केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई तेज हुई

    कहां तो विपक्षी पार्टियां मान रही थीं कि लोकसभा चुनाव की घोषणा हो जाएगी और आचार संहिता लग जाएगी तो केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई रूक जाएगी और वे खुल कर लोकसभा चुनाव लड़ सकेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। आचार संहिता लगने के बाद केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई में तेजी आ गई है। उसने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उसके बाद ही गिरफ्तार किया। केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद भी उनकी पार्टी के खिलाफ कार्रवाई जारी है। गुरुवार को केजरीवाल को गिरफ्तार करने के दो दिन बाद शनिवार को दिल्ली में उनकी पार्टी के विधायक गुलाब सिंह यादव के...

  • राज ठाकरे को कुछ भी देगी भाजपा

    भारतीय जनता पार्टी ने अब ठान लिया है कि महाराष्ट्र में हर हाल में राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानी मनसे से तालमेल करना है। शिव सेना के अलग होने के बाद भाजपा पहले तो कहती रही थी कि वह अकेले चुनाव लड़ेगी। फिर बाद में शिव सेना का विभाजन करा कर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया और उनकी पार्टी से तालमेल किया। फिर शरद पवार की पार्टी एनसीपी में विभाजन करा कर अजित पवार को उप मुख्यमंत्री बनाया और उनकी पार्टी से तालमेल किया। अब वह राज ठाकरे की पार्टी से भी तालमेल करने जा रही है।...

  • सारे राजाओं की एक जैसी कहानी

    दलबदल वैसे तो बहुत सामान्य परिघटना बन गई है लेकिन अगर अलग अलग समूहों में दलबदल की घटना की श्रेणियां बनाएं तो एक बड़ी दिलचस्प तस्वीर बनती है। जैसे जितने भी बड़े नेताओं के बेटे या बेटियां हैं उनको सत्ता के बगैर ज्यादा समय तक नहीं रहा जाता है और वे जल्दी से जल्दी पाला बदलते हैं और सत्तारूढ़ दल के साथ जाते हैं। उसी तरह राजाओं या राज परिवार से जुड़े नेताओं की कहानी है। वे भी ज्यादा समय तक सत्ता से दूर नहीं रह सकते हैं। चाहे कांग्रेस ने उनको जितना कुछ दिया हो लेकिन अगर अब नहीं...

  • अखिलेश को कुछ सीटों का ख्याल रखना चाहिए था

    समाजवादी पार्टी किश्तों में उम्मीदवारों की घोषणा कर रही है। उसने पांच सूची जारी की है, जिसमें 46 उम्मीदवारों के नाम हैं। कांग्रेस के साथ समझौते के तहत उसने 17 सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ी हैं। इस लिहाज से उसे 63 सीटों पर लड़ना है, जिसमें से 46 सीटों पर उम्मीदवार घोषित हो गए हैं। चौथी और पांचवीं सूची में तीन ऐसी सीटों पर सपा ने उम्मीदवार घोषित किए हैं, जिनको लेकर पहले कुछ और चर्चा हो रही थी। ये तीन सीटें हैं- सुल्तानपुर, नगीना और पीलीभीत। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को इन तीन सीटों का ख्याल...

  • भाजपा का मुस्लिम उम्मीदवार क्या करेगा?

    भारतीय जनता पार्टी ने केरल की मल्लापुरम सीट से एक मुस्लिम उम्मीदवार उतार तो दिया है लेकिन ऐसा लग रहा है कि वह उनको परदे के पीछे ही रखना चाहती है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केरल के दौरे पर गए तो उन्होंने मंगलवार को पलक्कड में एक रोड शो किया, जिसमें पार्टी के आसपास की सीटों के दो उम्मीदवार शामिल हुए। लेकिन मल्लापुरम के उम्मीदवार एम अब्दुल सलेम को इसमें नहीं बुलाया गया। सलेम कोझिकोड यूनिवर्सिटी के कुलपति रहे हैं। उन्होंने खुद कन्फर्म किया कि उनको प्रधानमंत्री के रोड शो में आमंत्रित नहीं किया गया था। अब सवाल...

  • सीता सोरेन से भाजपा को क्या फायदा?

    यह सबको पता है कि भाजपा झारखंड को लेकर पिछले चार से बेचैन है। जब से वह 2019 का चुनाव हार कर सत्ता से बाहर हुई तब से झारखंड में भाजपा ऑपरेशन लोटस के प्रयास में है। कई बार कोशिश हुई और हर बार विफलता हाथ लगी। अब भाजपा दावा कर सकती है कि उसे पहली सफलता हाथ लगी है। उसने झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है। लेकिन यह सफलता जितनी भाजपा की है, उससे ज्यादा सुप्रीम कोर्ट की है। असल में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों...

  • चौटाला परिवार जाट वोट बंटवाएंगा

    हरियाणा में योजनाबद्ध तरीके से भाजपा ने दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी से तालमेल खत्म कर लिया और उसको अकेले लड़ने के लिए छोड़ दिया। उधर ओमप्रकाश चौटाला की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल अलग ताल ठोक रही है। इसका नतीजा यह हुआ है कि कांग्रेस नेताओं की चिंता बढ़ी है। Haryana politics Jat vote यह भी पढ़ें: नेतन्याहू न मानेंगे, न समझेंगे! गौरतलब है कि चौटाला परिवार का दशकों तक हरियाणा की जाट राजनीति पर असर रहा है। एक तरह से उनका वर्चस्व था। जाट पूरी तरह से देवीलाल और बाद में ओमप्रकाश चौटाला के साथ जुड़े रहे। हालांकि...

  • राज्यपाल, जज, अधिकारी सब चुनाव लड़ेंगे

    इस बार का लोकसभा चुनाव कई मायने में बहुत दिलचस्प होने वाला है। लोकसभा चुनाव की घोषणा के तुरंत बाद तेलंगाना की राज्यपाल तमिलसाई सौंदर्यराजन ने इस्तीफा दे दिया। वे पुड्डुचेरी के उप राज्यपाल के प्रभार में भी थीं। वे तमिलनाडु में चुनाव लड़ने जा रही हैं। वहां भाजपा का तालमेल तय होने से पहले सौंदर्यराजन ने इस्तीफा दिया है। Lok Sabha election 2024 यह भी पढ़ें: नेतन्याहू न मानेंगे, न समझेंगे! पहले कहा जा रहा था कि वे पुड्डुचेरी की इकलौती लोकसभा सीट से लड़ सकती हैं लेकिन उन्होंने साफ कर दिया है कि वे तमिलनाडु से ही लड़ेंगी।...

  • आचार संहिता के बाद भी विपक्ष को राहत नहीं

    विपक्षी पार्टियां और कई स्वतंत्र पर्यवेक्षक भी मान रहे थे कि लोकसभा चुनाव की घोषणा होने और देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाने के बाद विपक्षी पार्टियों को राहत मिल जाएगी। उनके खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई थम जाएगी और तब वे बेफिक्र होकर पूरी ताकत से चुनाव लड़ पाएंगे। लेकिन सारे अंदाजे गलत साबित हो गए। विपक्षी पार्टियों ने अगर हालिया इतिहास को ही ध्यान में रखा होता तो वे ऐसा नहीं सोचते। पिछले साल के अंत में जब राज्यों के चुनाव चल रहे थे तब भी केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई जारी थी। छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार...

  • चार जून और चार सौ पार का नारा

    चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती चार जून को क्यों तय की? पिछली बार यानी 2019 के चुनाव में वोटों की गिनती 23 मई को हुई थी। उससे पहले यानी 2014 में 13 मई को मतगणना हुई थी। इस बार चुनाव आयोग ने मतगणना की तारीख और आगे बढ़ा कर चार जून कर दी। कायदे से इसे कम किया जाना चाहिए था ताकि अपेक्षाकृत कम गर्मी के समय चुनाव हो जाए और वोटों की गिनती हो जाए। एक रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव आयोग के मौजूदा शिड्यूल के हिसाब से आधे से ज्यादा राज्यों में चुनाव प्रचार...

  • लेफ्ट और कांग्रेस का विरोधाभास

    देश में आमतौर पर गठबंधन बनाने का काम विपक्षी पार्टियों का होता है और माना जाता है कि सत्ता पक्ष के खिलाफ गठबंधन बनाना विपक्ष के लिए ज्यादा आसान होता है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि इस समय का विपक्ष इस काम में विफल हो रहा है। भाजपा ने ज्यादा पार्टियों का गठबंधन बनाया है लेकिन किसी भी राज्य में ऐसा नहीं है कि भाजपा की किसी राज्य की गठबंधन सहयोगी दूसरे राज्य में उसके खिलाफ चुनाव लड़ रही है। केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा ने जिन पार्टियों से तालमेल किया है उनके साथ परफेक्ट तालमेल है। लेकिन विपक्षी गठबंधन...

  • चुनाव की अवधि क्यों बढ़ती जा रही?

    इस साल लोकसभा चुनाव की तारीखें भी आगे खिसक गई हैं और चुनाव की अवधि भी ज्यादा बड़ी हो गई है। सवाल है कि भारत में ऐसा क्यों होता है क्यों नहीं चुनाव की तारीख, अवधि आदि तय की जाती है? चुनाव सुधारों की बात होती है लेकिन कभी इस बारे में बात नहीं होती है। गौरतलब है कि अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव हर साल एक निश्चित दिन होता है। सदियों पहले, जब लोग घोड़े पर चढ़ कर वोट डालने जाते थे तब तय हुआ था कि हर साल नवंबर के पहले मंगलवार को चुनाव होगा। आज तक वह...

  • खराब तुकबंदी से बड़ी चिंताओं का जवाब

    संसद में या संसद से बाहर सार्वजनिक कार्यक्रमों में नेता या पदाधिकारी अपनी बात बेहतर ढंग से कहने या अपनी बात में वजन लाने के लिए शेरो-शायरी किया करते थे। शनिवार को लोकसभा चुनाव की घोषणा करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने भी कुछ शायरी और कुछ दोहे सुनाए। पार्टियों के नेताओं को दलबदल को मौजूदा दौर में आपसी संबंधों का ख्याल रखने, निजी हमले नहीं करने की सलाह देते हुए उन्होंने बशीर बद्र का शेर सुनाया और रहीम का एक दोहा भी पढ़ा। Election Commission EVM यह भी पढ़ें: भारत का यह अंधा, आदिम चुनाव! दोनों विषय...

  • कांग्रेस में सब बिखरा हुआ

    लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस कोई नया गठबंधन तो नहीं बना सकती है लेकिन जो गठबंधन बना हुआ है उसमें भी बहुत कुछ बिखरता दिख रहा है। सोचें, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने दिल्ली, हरियाणा, गोवा और गुजरात में तालमेल किया है। लेकिन पंजाब में आम आदमी पार्टी की ओर से कांग्रेस के विधायकों को तोड़ा जा रहा है। कांग्रेस के विधायक राजकुमार चब्बेवाल दो दिन पहले आम आदमी पार्टी में चले गए। इसका बड़ा असर दिल्ली और हरियाणा पर होगा। दोनों पार्टियां पंजाब में एक दूसरे के खून की प्यासी हो रही हैं लेकिन बगल के राज्य में...

  • भाजपा के चार सांसदों ने पार्टी छोड़ी

    आमतौर पर भारतीय जनता पार्टी के नेता खासतौर से सांसद या विधायक आदि पार्टी नहीं छोड़ते हैं लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के सांसदों के पार्टी छोड़ने का जो सिलसिला शुरू हुआ वह चुनाव की घोषणा के दिन तक जारी रहा। चुनाव की घोषणा के दिन मध्य प्रदेश से भाजपा के राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह ने पार्टी छोड़ दी। BJP MPs left party यह भी पढ़ें: भारत का यह अंधा, आदिम चुनाव! उन्होंने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक पत्र लिख कर भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने की सूचना दी। वे निर्दलीय चुनाव लड़...

  • कमजोर पार्टियों से तालमेल के फायदे

    भारतीय जनता पार्टी कमजोर प्रादेशिक पार्टियों से तालमेल कर रही है। कई जगह तो ऐसा भी हुआ है कि भाजपा ने पहले पार्टियों को कमजोर किया और फिर उनसे तालमेल किया। इसका फायदा यह है कि भाजपा जिस तरह से चाह रही है उस तरह से सीटों का बंटवारा हो रहा है और आगे के लिए यह रास्ता बन रहा है कि भाजपा जब चाहे तब इन पार्टियों को समाप्त कर दे या इनका विलय अपने में करा ले। Lok Sabha election 2024 यह भी पढ़ें: भाजपा के दक्कन अभियान की चुनौतियां कह सकते हैं कि भाजपा इस बार के...

  • विवादित नेताओं की फिर कटी टिकट

    भाजपा में विवादित नेताओं की टिकट कटने का सिलसिला जारी है। पार्टी ने पहली सूची में कई विवादित नेताओं को बेटिकट किया है। अक्सर अपने बयानों से विवादों में रही भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया है तो संसद के अंदर बसपा सांसद दानिश अली पर विवादित बयान देने वाले रमेश विधूड़ी को भी टिकट नहीं मिली। BJP candidate list यह भी पढ़ें: भाजपा के दक्कन अभियान की चुनौतियां यह सिलसिला दूसरी सूची में भी जारी रही। भाजपा ने 72 उम्मीदवारों की दूसरी सूची में कर्नाटक के दो ऐसे सांसदों की टिकट...

  • कांग्रेस दिग्गज चुनाव से भाग रहे

    राहुल गांधी चाहते हैं कि पार्टी के सारे बड़े नेता चुनाव लड़ें। इसके लिए सभी दिग्गज नेताओं को कहा भी गया था। सबको अपनी पसंद से सीट चुनने के लिए भी कहा गया था। लेकिन हैरानी की बात है कि इक्का दुक्का दिग्गज नेताओं को छोड़ कर सबने हाथ खड़े कर दिए हैं। कोई चुनाव नहीं लड़ना चाहता है। जानकार सूत्रों के मुताबिक गुजरात में अपनी यात्रा रोक कर एक दिन के लिए दिल्ली आए राहुल गांधी ने इस मसले पर पार्टी नेताओं से चर्चा की और उसके एक दिन बाद सोमवार को हुई केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में...

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