जी 20 देशों के वित्त मंत्रियों और उसके बाद विदेश मंत्रियों की बैठक में भले कई बातों पर सहमति नहीं बनी और साझा बयान नहीं जारी हुआ लेकिन राजनीतिक रूप से भाजपा को इसका कुछ न कुछ फायदा जरूर हुआ। जिस समय दुनिया के 20 सबसे बड़े देशों के विदेश मंत्री नई दिल्ली में थे और उनकी बैठक होने वाली थी उसी समय पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के चुनाव नतीजे आ रहे थे। यह कमाल का संयोग है लेकिन यह संयोग भाजपा के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुआ। दुनिया भर के ताकतवर देशों के विदेश मंत्री और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल की मौजूदगी में भाजपा की बड़ी जीत की खबर आई। सबने देखा कि किस तरह से भाजपा ने चुनावी जीत हासिल की है।
दो मार्च को त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड के चुनाव नतीजों को दिन भारत की मीडिया ने जिस तरह का माहौल बनाया वह भी अनायास नहीं था। साफ दिख रहा था कि दिल्ली और देश में मौजूदा विदेशी मेहमानों को लक्ष्य बना कर चुनाव नतीजों से नैरेटिव बनाया जा रहा है। अन्यथा कोई कारण नहीं था कि मीडिया बताता कि तीन राज्यों में भाजपा जीती। हकीकत यह है कि भाजपा सिर्फ एक ही राज्य में जीती और वहां भी उसकी सीटें पहले से कम हुईं। बाकी एक राज्य में भाजपा की सहयोगी जीती और तीसरे राज्य में तो भाजपा बुरी तरह से हारी। मेघालय में 60 सीटों पर चुनाव लड़ कर भाजपा सिर्फ दो सीट जीत पाई। लेकिन उसे भी भारतीय मीडिया भाजपा की जीत बताता रहा, जबकि जीत उस पार्टी की हुई थी, जिसके विरोध में भाजपा लड़ी थी। इसके बावजूद मीडिया दिखाता रहा कि तीन राज्यों में भाजपा को बड़ी जीत मिली। इसका कहीं न कहीं मकसद अंतरराष्ट्रीय ऑडिएंस को टारगेट करना था।