Rashtriya Swayamsevak Sangh

  • संघ सुखानुभूति का सच

    चुनाव से चुनाव तक की अनन्त आशा करते जीवन पूरना चाहिए। भाषा, संस्कृति, शिक्षा, कानून, जजिया, संख्या, मात्रा, आदि किसी पैमाने की बात ही नहीं उठानी चाहिए। सब गाँधीजी जैसे अवतार पर भरोसा कर छोड़ देना चाहिए। ''क्या आप को हमारी नीयत पर भी संदेह है?'' इसे तुरुप के इक्के की तरह रखकर वे आत्मविश्वास से तमतमा उठते हैं। पर संदेह तो गाँधीजी की नीयत पर भी न था! संघ-परिवार, और उस के उत्साही समर्थक सुखानुभूति में सराबोर हैं। ऐसे कि एक भी असुविधाजनक सत्य सामने रखने वाले पर व्यंग्य/धमकी की बौछार करने को तैयार, चाहे वह शुभचिंतक क्यों न...

  • धर्म नीचे, मूर्ति ऊपर!

    संघ-भाजपाई बच्चों से भी हल्का व्यवहार करते हैं। बच्चे तो शिक्षक की भावना समझ लेते हैं, किन्तु संघ-परिवार के नेतागण दशकों बाद भी संवेदनहीन हैं। पीढ़ियों, नेताओं के बदलने पर भी उन में कुछ नहीं बदलता। वे राजनीतिक तिकड़मों के बाद भावनाओं, लफ्फाजी, और तमाशों के सिवा किसी चीज को महत्व नहीं देते।....सच यह है कि आगे हिन्दू समाज बचेगा भी या नहीं, वे इस से बेपरवाह हैं। अपने कथित ‘राष्ट्रवाद’ के लिए उन की एक ही लालसा है, कि उन के दल, संगठन, और नेताओं का नाम जैसे भी ऊपर रहे। मानो किसी नीम-हकीम की लालसा हो कि मरीज...

  • अपने अस्तित्व को लेकर चिंतित संघ…?

    भोपाल । अपने आप को पूर्णता: स्वदेशी और हिंदूवादी बताने वाला संघ पिछले कुछ अर्से से अपने आप को उपेक्षित सा महसूस कर रहा है, क्योंकि पूरे देश की राजनीति नरेंद्र मोदी के आसपास ही केंद्रित हो गई है और हिंदूवादी सभी संगठन मोदी की निकटता में अपना उज्जवल भविष्य देखने लगे हैं, इसलिए संघ की पूछ परख कम हो गई है, स्वयं मोदी भी संघ को उतना महत्व देते नजर नहीं आते हैं जितना कि भाजपा का अन्य कोई वरिष्ठ नेता, इसलिए संघ को अब अटल-आडवाणी के कार्यकाल की याद सता रही है, कुल मिलाकर संघ को अब अपनी...

  • मुलायम सिंह यादव को संघ की श्रद्धांजलि, क्यों?

    आरएसएस की राष्ट्रीय बैठक में दिवंगत मुलायम सिंह यादव आदि को श्रद्धांजलि देना, श्रीराम द्वारा प्रदत्त परंपराओं का ही अनुसरण है। जब विभिषण अपने भाई रावण के किए पर लज्जित होकर उसके शव का अंतिम संस्कार करने में संकोच करते है, तब श्रीराम कहते है, "मरणान्तानि वैराणि निर्वृत्तं न: प्रयोजनम्। क्रियतामस्य संस्कारो ममाप्येष यथा तव।।" अर्थात्— बैर जीवनकाल तक रहता है। मृत्यु पश्चात उस बैर का अंत हो जाता है। हरियाणा के समालखा में 14 मार्च को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय बैठक हुई। यूं तो इससे संबंधित कई विषय सार्वजनिक विमर्श में रहे। किंतु बीते वर्ष जिन राजनीतिक...

  • भागवत का बरेली में 16 फरवरी से प्रवास

    बरेली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सर संचालक (Rashtriya Swayamsevak Sangh) मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) 16 फरवरी को बरेली पहुंच रहे हैं। वह तीन दिन शहर में ही प्रवास करेंगे। यहां प्रचारकों से मिलेंगे और संगठन बैठक करेंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 2025 में सौ साल पूरे कर रहा है। शताब्दी वर्ष में जगह-जगह संघ शाखाओं द्वारा कार्यक्रम किए जा रहे हैं। महानगर नगर प्रचार प्रमुख आलोक प्रकाश ने बताया कि शताब्दी वर्ष कार्यक्रम (Centenary Year Program) के तहत संघ के सर संचालक मोहन भागवत 16 फरवरी रात बरेली पहुंचेंगे। इसके बाद तीन दिन तक उनका प्रवास शहर में ही होगा। इस दौरान...