अजीत द्विवेदी
देश में बड़े चुनाव सुधारों की जरूरत है। इसलिए चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार को जो प्रस्ताव भेजे हैं, उनका स्वागत होना चाहिए।
अग्निपथ योजना के खिलाफ एकदम से जो उबाल आया है वह देखने में भले तात्कालिक प्रतिक्रिया लगे लेकिन असल में युवाओं के रोष और हिंसक प्रदर्शन की जड़ें ज्यादा गहरी हैं।
देश भर के युवा आंदोलित हैं और उपद्रव कर रहे हैं। दूसरी ओर इन आंदोलनों के बीच सेना में भर्ती की अग्निपथ योजना की अधिसूचना जारी होने लगी है।
असहमति और प्रतिरोध, ये दो चीजें लोकतंत्र की बुनियादी पहचान और केंद्रीय व मूलभूत विशेषताएं हैं। इनके बिना लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती है।
अमेरिका सहित दुनिया भर के देशों में इस तरह की योजना लागू है। सैनिक थोड़े समय के प्रशिक्षण के बाद सेना में काम करते हैं और रिटायर होकर दूसरी नौकरी करते हैं।
उत्तर प्रदेश में अगर लोगों के घरों पर बुलडोजर चल रहा है तो इसमें क्या हैरानी है! आखिर भारतीय जनता पार्टी ने बुलडोजर दिखा कर वोट मांगा था।
देश भर के मुसलमान आक्रोशित हैं और आंदोलित भी। लेकिन उनका आक्रोश और आंदोलन सही दिशा लिए हुए नहीं है।
महंगाई रोकने के लिए उसने नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट और नकद आरक्षित अनुपात यानी सीआरआर में बढ़ोतरी की।
अमेरिका ने नसीहत दी तो अपनी कमी स्वीकार करने या स्थितियों को ठीक करने का प्रयास करने की बजाय सरकार ने उससे लड़ना शुरू कर दिया और दूसरी ओर अरब देशों ने धमकाया तो सरकार घुटनों पर आ गई!
कायदे से अब हिंदू-मुस्लिम का सार्वजनिक विमर्श बंद हो जाना चाहिए। मुसलमानों के खिलाफ होने वाली जुबानी और शारीरिक हिंसा थम जानी चाहिए।
भारत लोकतंत्र की जननी है, ऐसा कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है। इस लिहाज से कह सकते हैं कि भारत का लोकतंत्र गर्व करने की चीज है।
भारत में राजनीतिक नैतिकता का एक पैमाना लाल बहादुर शास्त्री ने गढ़ा था। उनके रेल मंत्री रहते एक दुर्घटना हुई थी और उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था।
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के बारे में अपनी जो ताजा राय व्यक्त की है उसमें उन्होंने कहा है, ‘कांग्रेस पार्टी सुधरती नहीं है, अपने तो डूब रही है हमको भी डुबा देगी।
उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद यह मानने वालों की संख्या बढ़ी है कि 2024 का चुनाव ‘डन डील’ है।
अपनी कमीज उजली दिखाने के लिए दूसरों की कमीज पर कीचड़ फेंकने की जो संस्कृति हाशिए पर थी उसे राजनीति के केंद्र में ला दिया गया है।