• दुनिया भर में लोकप्रिय प्रभु राम का जीवन दर्शन

    इस बार की रामनवमी विशेष इसलिए है क्योंकि अयोध्या में सदियों बाद भव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ है और रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हुई है। यूं तो अयोध्या विश्व भर में पहले से चर्चा के केंद्र में है, परंतु नई परिघटना के बाद इसकी महत्ता ज्यादा तीव्रता के साथ सदियों तक महसूस की जाएगी। 17 अप्रैल - राम नवमी पर विशेष पिछले कुछ समय में प्रभु श्रीराम की चर्चा इतनी बार हुई है कि आधुनिक भारत के डिजिटल दुनिया में विचरण करने वाली पीढ़ी को भी अब श्रीराम की कथा कहानियों की समझ हो चुकी है। वैसे...

  • संवैधानिक मान्यता से अब तक वंचित भाषाएं

    भारत में आठवीं अनुसूची से शामिल होने से वंचित भोजपुरी, राजस्थानी, छत्तीसगढ़ी जैसी भाषाओं में लोग राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय का लाभ लेने से वंचित हैं। भाषायी आधार पर यह भेदभाव ठीक नहीं है।...राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था- प्रत्येक के लिए अपनी मातृभाषा और सबके लिए हिंदी। लेकिन यह अब तक हो नहीं सका है।देश की ऐसी ही मातृभाषा भोजपुरी है, जो आजादी के अमृतकाल में संवैधानिक मान्यता से वंचित है। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस, 21 फरवरी पर विशेष प्रत्येक मातृभाषा का सम्मान होना चाहिए, यही सह अस्तित्व का सिद्धांत है। भारत की परंपरा इस मामले में बड़ी समृद्ध व उदार...

  • जाके प्रिय न राम वैदेही…

    राम सबके हैं। राम की व्यापकता भौगोलिक सीमाओं से परे है। राम के यहां कोई भेद नहीं है। वह राम जब सदियों की प्रतीक्षा के बाद अपने घर आ रहे हैं, उनका खुले मन से स्वागत होना चाहिए। 21वीं सदी की सबसे बड़ी सांस्कृतिक परिघटना अयोध्या में घटित हो रही है। शताब्दियों की प्रतीक्षा खत्म होने जा रही है। 22 जनवरी को प्रभु राम के बाल-विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होने की तिथि तय है। सनातन परंपरा में मुंडे-मुंडे मति भिन्ना के कई दृष्टांत मिलते हैं। मतैक्य की संभावना न्यून होती है। इसलिए अगर मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर शंकराचार्यों...

  • भाषा, संस्कृति के प्रति समर्पित रहे डॉ.राजेंद्र प्रसाद

    ग्रामीण भारत,सनातन संस्कृति,मातृभाषा भोजपुरी से प्रेम,संविधान सभा के अध्यक्ष,दो दो बार राष्ट्रपति,स्वतंत्रता सेनानी,गांधी के सर्वश्रेष्ठ अनुयायियों में एक महान राजेंद्र बाबू जी की चरित्र गाथा युगों युगों तक भारत वर्ष की आने वाली पीढ़ियों को उत्प्रेरित करती रहेंगी। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी का नाम लेते ही मन मस्तिष्क में एक ऐसे व्यक्तित्व की छवि झिलमिलाने लगती है, जिसकी सादगी,विद्वता, सरलता,श्रेष्ठता के अनेकों किस्से देश की स्मृतियों में जीवंत बने हुए हैं।इनकी इसी छवि के कारण इन्हें 'सादा जीवन,उच्च विचार' के कहावत के सटीक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इन्हें तीव्र बुद्धिमान सफल छात्र...

  • मतगणना के लिए मशक्कत

    भोपाल। 17 नवंबर को प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न हो चुका है और 3 दिसंबर को मतगणना के लिए राजनैतिक दल और प्रत्याशी अभी से भारी मशक्कत कर रहे हैं जिससे कि अंतिम प्रयासों में कोई कमी न रह जाए किसी प्रकार की गड़बड़ी ना हो। दरअसल, पूरी चुनावी प्रक्रिया का अंतिम चरण मतगणना होती है जिसमें जो भी निर्णय मतदाता ने दिया है। इसका खुलासा होता है प्रदेश में विभिन्न चुनाव के दौरान कुछ ऐसी भी अवसर आए जब मतगणना पर सवाल उठाए गए। पुनः मतगणना कराई गई लेकिन लेकिन इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती...

  • स्वच्छता, समानता, सौहार्द, सहभागिता का पर्व छठ

    छठ पर्व के बहाने ही कम से कम हर साल करोड़ों लोग नदी, तालाब के किनारे न सिर्फ जाते हैं, बल्कि घाटों, किनारों, कछारों की सफाई करते हैं। जल प्रवाह का मार्ग सुनिश्चित करते हैं। तालाबों के तलहट को साफ करते हैं। गंदे जल प्रवाह को रोकने आदि कई कार्य करते हैं। इसे हर जाति के लोग, राजा-रंक सब एक ही घाट पर इकट्ठा होकर श्रद्धा और विश्वास के साथ करते हैं। छठ के अवसर पर हम ऐसे दौर में हैं, जहां पर्यावरण का संकट वैश्विक है। प्रकृति के साथ साहचर्य का भाव विलुप्त हो रहा है। विकासवादी और भौतिकवादी...

  • सनातन के शाश्वत अधिष्ठाता “श्रीगणेश”

    मान्यता है, उन्हें देवाधिदेव महादेव ने ही यह विशेष वरदान दिया था कि हर पूजा या शुभ कार्य करने से पहले उनकी पूजा अनिवार्य होगी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गजानन गणेश, भगवान शिव व मां पार्वती के पुत्र हैं। गणेश नाम की उत्पत्ति पर विचार करें, तो गण का अर्थ है, समूह एवं ईश का अर्थ है, स्वामी। भगवान गणेश की पत्नी का नाम रिद्धि और सिद्धि है। सनातन मान्यता है कि 33 करोड़ देवी-देवता हैं। इनकी पूजा देश भर में की जाती है। पर, इन 33 करोड़, देवी-देवताओं में प्रथम पूज्य श्रीगणेश जी ही हैं, देवों में सर्वप्रथम। चाहे...

  • महेंदर मिसिरः एक क्रांतिकारी लोक गायक

    महेंदर मिसिर गुप्त रूप से क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता की बलिवेदी पर शहीद होने वाले परिवारों को खुले हाथों से मदद करते थे। रामनाथ पांडे ने अपने प्रसिद्ध उपन्यास ‘महेंद्र मिसिर’ में लिखा है कि महेंदर मिसिर अपने सुख-स्वार्थ के लिए नहीं, बल्कि शोषक ब्रिटिश सरकार की अर्थव्यवस्था को धाराशायी करने और उसके अर्थनीति का विरोध करने के उद्देश्य से नोट छापते थे। भारतीय लोक संस्कृति में पूरबी गीत-गवनई शैली के जनक, एक रंग रंगीले गायक, नायक, स्वतंत्रता सेनानी, आंदोलनकारी, क्रांतिकारी, भजन कीर्तनकार, उपदेशक न जानें कितने रूप रंग में महेंदर मिसिर का व्यक्तित्व आज भी लोक मानस में, लोक कंठ...

  • पूर्वाग्रह छोड़ मातृभाषाओं को उचित सम्मान दें सरकारें

    (अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस, 21 फरवरी के अवसर पर विशेष) अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस दो भाषायी कार्यकर्ताओं, रफीकुल इस्लाम और अब्दुस सलाम के दिमाग की उपज है, जिन्होंने 1998 में दुनिया की भाषाओं को विलुप्त होने से बचाने के लिए इस दिन को मनाने की सिफारिश की थी। इसका ऐतिहासिक महत्व भी है- यह बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) में 1952 की दुखद हत्याओं की याद दिलाता है। 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद बांग्लादेश, पाकिस्तान के साथ एकीकृत किया गया था। पाकिस्तान सरकार ने 1947 से 1971 तक देश को विनियमित किया और 1948 में उर्दू को एकमात्र राष्ट्रीय भाषा घोषित किया।...

  • अयन परिवर्तन कालखंड में मनाई जाती है ‘मकर संक्रांति’

    हम लोगों में से बहुत कम लोग जानते हैं कि मकर संक्रांति का पर्व क्यों मनाया जाता है और वह भी प्रतिवर्ष 14 जनवरी को ही क्यों? हम जानते हैं कि ग्रहों एवं नक्षत्रों का प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है। इन ग्रहों एवं नक्षत्रों की स्थिति आकाशमंडल में सदैव एक समान नहीं रहती है। हमारी पृथ्वी भी सदैव अपना स्थान बदलती रहती है। यहां स्थान परिवर्तन से तात्पर्य पृथ्वी का अपने अक्ष एवं कक्ष-पथ पर भ्रमण से है। भा रत पर्वों एवं त्योहारों का देश है यहां कोई भी महीना ऐसा नहीं हैं, जिसमें कोई न कोई त्योहार न...

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