सर्वजन पेंशन योजना
  • खौफ व चिंता में कैसे हो कुछ अच्छा?

    दुनिया डरावने वक्त में है। हम सभी चितिंत, हताश और इतने डरे हुए हैं किकिसी दूसरे काम में चित्त नहीं लगता। बार-बार अरजेंसी में ऐप और ट्विटर खोल कर खबरें देखते है और सोचते है क्यों देख रहे है कुछ भी तो उम्मीद भरा नहीं है।  अपने स्वार्थ में, जिंदा रहने के पैनिक मेंऐसे अंधे हुए हैं कि दवाएं खरीदी हुई है, किराने की दुकान से सामान ला कर घर में भरा हुआ है, इस चिंता में कि बाद में नहीं मिला तो क्या होगा! ये सब असहाय होनेकी मनोदशा में इस नासमझ गुस्से को लिए हुए है कि ऐसा...

  • नए वक्त के भगवान व चढ़ावा!

    पांच अरब से ज्यादा लोग फिलहाल लॉकडाउन में बंद है और इनमें से अधिकांश किसके सहारे है? जवाब है इंटरनेट। जीवन ऑनलाइन भरोसे है। वह जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा-सा है। ऑनलाइन कक्षाओं से लेकर मनोरंजन के लिए यू-ट्यूब, नेटफ्लिक्स, या बायेजू के जरिए दिलचस्पियों को पूरा करना, अमेजन जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्म से खरीदारी और जूम के जरिए सरकारी दफ्तरों की बैठकों को देख साफ लगता है इस वक्त यदि दुनिया में सबसे ज्यादा ताकतवर कोई है तो वह इंटरनेट है। दुनिया को जोड़ने से लेकर रोजमर्रा के सारे काम निपटाने वाला सबसे सशक्त माध्यम है इंटरनेट। इसी पर कोरोना...

  • संकट में नेता हो तो लिंकन जैसा पर आज…

    पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लिंकन मेमोरियल में लिंकन की मूर्ति के आगे बैठ फॉक्स न्यूज को इंटरव्यू दिया। ट्रंप ने राष्ट्रपति लिंकन से तुलना करते हुए उन जैसा अपने को पेश किया। उस पर अमेरिका में बवाल हुआ। भला कहां लिंकन और कहां ट्रंप! लेकिन ट्रंप पहले अमेरिकी या वैश्विक नेता नहीं हैं, जिन्होने संकट काल में अपने को लिंकन जैसे नेता होने या उनके कद का दावा किया। मार्गरेट थैचर से लेकर रोनाल्ड रीगन, विंस्टन चर्चिल, रिचर्ड निक्सन आदि ने भी अपने को किसी न किसी रूप में लिंकन को देखने-दिखलाने की कोशिश की। थैचर जहां...