खौफ व चिंता में कैसे हो कुछ अच्छा?
दुनिया डरावने वक्त में है। हम सभी चितिंत, हताश और इतने डरे हुए हैं किकिसी दूसरे काम में चित्त नहीं लगता। बार-बार अरजेंसी में ऐप और ट्विटर खोल कर खबरें देखते है और सोचते है क्यों देख रहे है कुछ भी तो उम्मीद भरा नहीं है। अपने स्वार्थ में, जिंदा रहने के पैनिक मेंऐसे अंधे हुए हैं कि दवाएं खरीदी हुई है, किराने की दुकान से सामान ला कर घर में भरा हुआ है, इस चिंता में कि बाद में नहीं मिला तो क्या होगा! ये सब असहाय होनेकी मनोदशा में इस नासमझ गुस्से को लिए हुए है कि ऐसा...