नई दिल्ली। टाटा संस के अंदर वर्चस्व को लेकर चल रही लड़ाई में एक नया मोड़ आ गया है। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल, एनसीएलएटी ने बुधवार को साइरस मिस्त्री के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि मिस्त्री को फिर से टाटा संस का चेयरमैन बनाया जाए। इतना ही नहीं एनसीएलएटी ने कहा कि उन्हें हटाना गलत था। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल, एनसीएलटी में केस हारने के बाद मिस्त्री अपीलेट ट्रिब्यूनल पहुंचे थे। टाटा संस ने कहा है कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी।
मिस्त्री ने टाटा संस और रतन टाटा सहित कंपनी से जुड़े 20 लोगों पर दमनकारी रवैया और प्रबंधन में खामियों के आरोप लगाए थे। इस पर फैसला देते हुए एनसीएलएटी ने टाटा संस के चेयरमैन पद पर एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति को भी गलत बताया। चंद्रशेखरन जनवरी 2017 में चेयरमैन बने थे। अपीलेट ट्रिब्यूनल ने रतन टाटा को निर्देश दिए हैं कि वे टाटा संस के बोर्ड से दूर रहें। टाटा संस टाटा ग्रुप की कंपनियों की प्रमोटर है।
साइरस मिस्त्री अभी शपूरजी पलोनजी एंड कंपनी के एमडी हैं। यह उनके फैमिली ग्रुप शपूरजी पलोनजी से जुड़ी फर्म है। अपीलेट ट्रिब्यूनल का फैसला चार हफ्ते बाद लागू होगा। इस दौरान टाटा संस सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकेगी। अपीलेट ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ टाटा संस को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत नहीं मिलती है तो मिस्त्री टाटा संस के चेयरमैन बन सकते हैं। या फिर चाहें तो सम्मानजनक तरीके से इस्तीफा दे सकते हैं।
फैसले पर साइरस मिस्त्री ने कहा है कि यह सिर्फ व्यक्तिगत जीत नहीं, बल्कि गुड गवर्नेंस के सिद्धांतों और अल्प शेयरधारकों के अधिकारों की जीत है। उन्होंने कहा- यह फैसला हमारे दावों का प्रमाण है। मिस्त्री परिवार 50 साल से टाटा संस का अहम शेयरधारक है। मैं सोचता हूं कि अब समय आ गया है कि टाटा ग्रुप के सतत विकास के लिए मिल कर काम किया जाए।
दूसरी ओर टाटा संस ने कहा है कि अपीलेट ट्रिब्यूनल के फैसले का विश्लेषण किया जा रहा है और कंपनी इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।