
वाशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, आईएमएफ ने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक की रिपोर्ट में पूरी दुनिया में मंदी का अंदेशा जताया है। इस रिपोर्ट में दुनिया भर में आर्थिक मंदी की आशंका जाहिर की गई है। इसमें बताया गया है कि कारोबार में कई तरह बाधाओं और भू राजनीतिक चिंताओं के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था एक सिंक्रोनाइज्ड स्लोडाउन के चक्र में फंस गई है।
आईएमएफ ने 2019 के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर का अनुमान घटा कर तीन फीसदी कर दिया है। 2008 में आई मंदी के बाद से यह विश्व अर्थव्यवस्था की सबसे कम विकास दर होगी। इस मामले में भारत को भी लेकर सजग किया गया है। इसमें कहा गया है कि भारत के लिए राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखना महत्वपूर्ण है। हालांकि, इसके राजस्व अनुमान आशावादी लग रहे हैं।
आईएमएफ ने भारत की विकास दर का अनुमान भी घटाया है। हालांकि दुनिया की परिस्थिति में भारत कम विकास दर के साथ भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ रही बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 6.1 फीसदी रखा गया है। इस साल अप्रैल में आइएमएफ ने 7.3 फीसदी की विकास दर का अनुमान जताया था। जुलाई में इसे मामूली कम करते हुए विकास दर सात फीसदी पर रहने का अनुमान जताया गया था।
भारत के लिए अच्छी खबर यह है कि आईएमएफ ने अगले साल भारत की विकास दर फिर सात फीसदी रहने का अनुमान जताया है। इस दौरान चीन की विकास दर 5.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है। आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि 2017 के 3.8 फीसदी की तुलना में ग्लोबल इकोनॉमी की विकास दर तीन फीसदी पर पहुंचना चिंताजनक है। सिंक्रोनाइज्ड स्लोडाउन और अनिश्चित हालात के कारण ग्लोबल आउटलुक कमजोर है। उन्होंने कहा कि तीन फीसदी की विकास दर को देखते हुए नीति निर्माताओं के पास अनदेखी का कोई विकल्प नहीं है। सभी देशों के नीति निर्माताओं को मिलकर कारोबारी व अन्य राजनीतिक चिंताओं को दूर करना होगा।