नई दिल्ली | संसद के उच्च सदन राज्यसभा ने बुधवार को सीमित देयता भागीदारी संशोधन विधेयक (llp law amendment) को मंजूरी दे दी है। इसका उद्देश्य सरकार के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस अभियान को तेज करना है। नए संशोधित कानून ने एलएलपी के लिए 12 अपराधों को अपराध से मुक्त कर दिया है और पहले के कानूनों के तीन वर्गों को छोड़ दिया गया है। इस सेगमेंट के लिए अन्य बड़ी कंपनियों के समान नियम लाना भी इसका उद्देश्य है। इस बिल को पहले लोकसभा ने मंजूरी दे दी थी। इसलिए अब संसदीय मंजूरी से यह राष्ट्रपति क हस्ताक्षर के बाद देश में कानून बन जाएगा।
2008 में एलएलपी कानून (llp law amendment) लागू हुआ था। उसके बाद से यह पहला संशोधन है। यह कानून बड़े पैमाने पर बढ़ते स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करता है, जहां कंपनियां फल-फूल रही हैं।
एलएलपी के विकास का समर्थन करने के लिए छोटे एलएलपी की एक नई परिभाषा पेश की गई है। जिसने व्यक्तिगत या साझेदार के योगदान स्तर को वर्तमान 25 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये कर दिया है। साथ ही एलएलपी में होने वाले टर्नओवर की सीमा भी 40 लाख रुपये से बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये की कर दी गई है।
फाइनेंस मिनीस्टर निर्मला सीतारमण ने पहले कहा था कि संशोधन कंपनी अधिनियम के तहत आने वाली बड़ी कंपनियों की तुलना में एलएलपी को प्रतिस्पर्धा के लिहाज से एक समान खेल मैदान में लाएंगे।
एलएलपी संशोधन विधेयक को राज्यसभा में मंजूरी, अब उद्योग जगत में हो जाएगा यह बड़ा बदलाव
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