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शहरी नहीं, ग्रामीण भारत के दम पर बढ़ रही है वाहनों की बिक्री

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीने में (अप्रैल-सितंबर 2024) देश में वाहनों की खुदरा बिक्री में 6.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आम तौर पर माना जाता है कि मोटरसाइकिलों और ट्रैक्टरों को छोड़कर दूसरे वाहनों की बिक्री में शहरी क्षेत्र का ज्यादा योगदान होता है। लेकिन, अब परिदृश्य बदल रहा है। आंकड़ों के अनुसार, गत 30 सितंबर को समाप्त छमाही में शहरी क्षेत्र में हर श्रेणी के वाहनों की बिक्री घटी है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में बिक्री बढ़ी है। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष के पहले छह महीने में देश में वाहनों की कुल खुदरा बिक्री 1,19,15,963 इकाई पर रही। 

यह पिछले वित्त वर्ष की समान छमाही की 1,11,83,734 इकाई की तुलना में 6.55 प्रतिशत अधिक है। फाडा ने बताया कि पहली छमाही में ओवरऑल बिक्री शहरी क्षेत्र में 2.25 प्रतिशत घट गई। जबकि, ग्रामीण क्षेत्रों में इसमें 1.93 फीसदी की तेजी दर्ज की गई थी। इस अवधि में शहरी क्षेत्र में दोपहिया वाहनों की बिक्री में 1.19 प्रतिशत, तिपहिया वाहनों में 7.27 प्रतिशत, वाणिज्यिक वाहनों में 1.20 प्रतिशत और यात्री वाहनों में 2.73 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। ट्रैक्टरों की बिक्री भी 11.67 प्रतिशत कम रही। ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो दुपहिया वाहनों की खुदरा बिक्री 0.90 प्रतिशत, तिपहिया वाहनों की 7.38 प्रतिशत और यात्री वाहनों (कार, एसयूवी तथा वैन) की बिक्री 4.86 प्रतिशत बढ़ी है। 

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वहीं, वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में 1.24 फीसदी और ट्रैक्टरों में 2.92 फीसदी की तेजी रही। फाडा के अध्यक्ष सीएस. विग्नेश्वर ने सितंबर के खुदरा बिक्री के आंकड़े जारी करते हुए कहा कि इस साल दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान सामान्य से आठ प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है जो चार साल में सबसे ज्यादा है। इससे खरीफ फसलों का रकबा पिछले मौसम की तुलना में 1.5 प्रतिशत अधिक हो गया है। इसका ग्रामीण मांग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि गणेश चतुर्थी और ओणम जैसे पर्व भी मांग बढ़ाने में प्रभावी नहीं हुए।

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