• बर्लुस्कोनीः ट्रंप का इतावली पितामह!

    इटली राष्ट्रीय शोक में है। दूसरे महायुद्ध बाद सर्वाधिक लंबे समय प्रधानमंत्री रहे बर्लुस्कोनी की मृत्यु के गम में। वे 86 वर्ष के थे। एक मायने में बर्लुस्कोनी पश्चिमी सभ्यता के पहले डोनाल्ड ट्रंप। ट्रंप और बारिस जानसन उनके मानों वारिस, छोटे संस्करण! इटली की मौजूदा प्रधानमंत्री उनकी मुरीद रही है। वे एक ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जिससे आधे इतावली उन्हे श्रद्धा से देखाते है वही विरोधी नफरत करते हुए। उनकी लीडरशीप मजबूत और निर्णायक व्यक्तित्व वाली थी। वे अरबपति थे। पैसे की ताकत से राजनीति पर कब्जा बनाया। उनका सबसे बडा मीडिया हाऊस तो एक फुटबाल क्लब के...

  • डेटा सुरक्षा में बड़ी सेंध

    जिस युग में डेटा को सोना कहा जाता है, डेटा सुरक्षा के ऐसे हाल के साथ कोई भी देश सुरक्षित रहने और विकास मार्ग पर चलने को लेकर आश्वस्त नहीं हो सकता। सरकार को ताजा घटना का पूरा सच देश को बताना चाहिए।  कोविन एप के जरिए स्टोर हुए लोगों के निजी डेटा की हैकिंग पर सरकार ने जो बयान दिए हैं, उससे कहीं यह भरोसा नहीं बंधता की ऐसी घटना नहीं हुई है। सिर्फ यह कह देना पर्याप्त नहीं हो सकता कि सारा डेटा सुरक्षित है और इसमें सेंध लगने की खबरें शरारतपूर्ण हैँ। अगर ऐसा है, तो पहले...

  • मायूसी एक भ्रम है!

    हमेशा ऐसा ही रहेगा, जब दुनिया विकास के पथ पर नए मुकाम हासिल करेगी, लेकिन लोग यही कहते सुने जाएंगे कि चीजें पहले बहुत अच्छी थीं। एक ताजा अध्ययन से भी इसी बात की पुष्टि हुई है। लोग मान रहे हैं कि नैतिकता का पतन हो रहा है। तकरीबन तीन दशक पहले निराशावाद पर एक किताब आई थी। उसमें कहा गया था कि दुनिया में हमेशा ऐसा रहेगा, जब दुनिया विकास के पथ पर नए मुकाम हासिल करेगी, लेकिन लोग यही कहते सुने जाएंगे कि चीजें पहले बहुत अच्छी थीं। एक ताजा अध्ययन से सामने आए निष्कर्ष ने उस किताब...

  • ब्रिटेन में भी ट्रंप जैसा बोरिस का हल्ला

    अंतर्राष्ट्रीय राजनीति इन दिनों जिस मोड़ पर है, वह जितनी दिलचस्प है उतनी ही चिंताजनक भी। एक ओर डोनाल्ड ट्रंप है, जो मुकदमों का सामना करते हुए भी रिपब्लिकन पार्टी और उसके मतदाताओं के दिलों पर राज कर रहे हैं। उनके दुबारा व्हाईट हाउस पहुंचने की चर्चा आम है। इसका अमेरिकी लोकतंत्र और दुनिया में उसके दबदबे पर असर पड़ेगा। दूसरी ओर इंग्लैंड के ट्रंप हैं बोरिस जॉनसन। वे भी भीड़ में जोश और उन्हे बहकाने की तरकीबें जानते हैं।उन्होने9 जून की शाम संसद से इस्तीफा दिया।लेकिन हमलावर और प्रतिद्वंद्वियों पर आरोप लगाते हुए। बारिस भी ट्रंप की तरह बेकसूर...

  • एआई से चिंतित दुनिया!

    घूम-फिर कर सवाल यही आएगा कि क्या ऐसे कानूनों से वह चिंता दूर होगी, जिसके लिए ये सारी कवायद की जा रही है? अक्सर किसी नई तकनीक और उसके प्रभाव को रोकने में कानून अक्षम साबित होते हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने अपनी अमेरिका यात्रा की इसे एक बड़ी कामयाबी बताया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने उनकी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) संबंधी योजना को स्वीकार कर लिया। पिछले हफ्ते जब ह्वाइट हाउस में दोनों नेता मिले, तो सुनक ने बाइडेन के सामने प्रस्ताव रखा कि ब्रिटेन एआई के विनियम का केंद्र बनना चाहता है। बाइडेन इस पर सहमत...

  • डायबिटीजः स्वास्थ्य इमरजेंसी

    इन रोगों के काफी बड़े हिस्से का संबंध जीवन शैली से है। इस संबंध लोगों को जागरूक बनाना जरूरी है। वरना, इलाज की स्थितियां विकट हो जाएंगी- खासकर उस हाल में जब आउटडोर चिकित्सा अधिक से अधिक प्राइवेट सेक्टर के हाथ में जा रही है। मशहूर ब्रिटिश हेल्थ जर्नल लांसेट ने बीते हफ्ते भारत में डायबिटीज मरीजों के बारे में जो अध्ययन रिपोर्ट छापी, वह चेतावनी की एक घंटी है। अगर तुरंत इस पर लोगों ने ध्यान नहीं दिया, तो भारत की हालत भी पाकिस्तान जैसी हो सकती है, जहां लगभग 27 प्रतिशत बालिग लोग इस रोग का शिकार हो...

  • ट्रंप की डींगें और 420 साल की सजा वाले आरोप!

    डोनाल्ड ट्रंप अब अमेरिका के सभी पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों में सबसे अलग बन गए हैं। वे पहले ऐसे पूर्व राष्ट्रपति हो गए है जिन पर फ़ेडरल कानूनों को तोड़ने के आरोप लगे हैं। संघीय सरकार के वे कानून हैं जिनकी रक्षा करने की शपथ उन्होंने करीब छह साल पहले ली थी। अब वे खुद राष्ट्रीय सुरक्षा, गोपनीयता, जासूसी संबंधी कानूनों के उल्लंघनकर्ता के आरोपी बने है। डोनाल्ड ट्रंप पर जो आरोप लगाए गए हैं वे काफी गंभीर हैं। शुक्रवार को सार्वजनिक हुए ये आरोप अजीबोगरीब और शर्मनाक हैं। उनके अनुसार गोपनीय सरकारी दस्तावेज ट्रंप के मकान के बाथरूम में पाए गए;...

  • हवाई बातों से क्या होगा?

    यूबीआई के पीछे विचार यह है कि वर्तमान आर्थिक नीतियों से जिन लोगों की जिंदगी मुहाल हो गई है, उनके जख्मों पर प्रत्यक्ष धन हस्तांतरण के जरिए महरम लगाया जाए। लेकिन अब साफ है कि वर्तमान सरकार उसकी जरूरत महसूस नहीं कर रही है। भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कुछ ऊंचे दावे किए हैं और साथ ही यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई) की भारत में जरूरत को सिरे से नकार दिया है। यह गौर करने की बात है कि वर्तमान सरकार के ही एक पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार की पहल पर भारत में यूबीआई बहस में...

  • पाकिस्तान में खतरनाक खेल

    पाकिस्तान की सेना संभवतः यह भूल गई है कि जब वहां किसी लोकप्रिय नेता को राजनीति से हटाने की जब कोशिशें हुईं, तो उसके कैसे नतीजे सामने आए। ऐसे कदमों से असंतोष बढ़ा और स्थायी समस्याएं पैदा हुईं। एक बार तो देश का बंटवारा ही हो गया। अब यह साफ है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सियासी रूप से नष्ट करने में वहां का ‘ऐस्टैबलिशमेंट’ (सेना+खुफिया नेतृत्व) फिलहाल सफल हो गया है। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) में अब गिने-चुने नेता ही बचे हैँ। बाकी नेता ऐस्टैबलिशमेंट का दबाव नहीं झेल पाए, जैसा करना पाकिस्तान में कभी...

  • मणिपुर में कोई हल नहीं?

    हिंसा पर काबू नहीं पाया जा सका है। राज्य में ऐसा माहौल बन गया है कि हर व्यक्ति सामने वाले को संदेह की निगाहों से देखने लगा है। ऐसे में समाधान सिर्फ संवाद से ही निकल सकता है। मगर उसके लिए निष्पक्ष माध्यम की जरूरत है। मणिपुर में हिंसा और अविश्वास के माहौल का कोई समाधान निकलता नहीं दिख रहा है। बल्कि अगर मैतयी और कुकी समुदायों के बीच अविश्वास की बात करें, तो हालत बिगड़ती जा रही है। राज्य की हालत से परिचित जानकारों ने कहा है कि सबसे बड़ी समस्या संवाद के सभी माध्यमों का टूट जाना है।...

  • उत्तराखंड में खतरनाक संकेत

    सवाल पोस्टर लगाने वाले व्यक्तियों की पहचान और उन पर ऐसी कार्रवाई का है, जिससे समाज में इस तरह के विभेद पैदा करने वाले तत्वों को सख्त संदेश जा सके। अपराध कोई व्यक्ति करता है। इसके लिए किसी पूरे समुदाय को निशाना बनाना तार्किक नहीं है। खबरों के मुताबिक उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के पुरोला में नाबालिग लड़की को अगवा करने के प्रयास के बाद तनाव का माहौल बना हुआ है। एक संगठन की तरफ से ऐसे पोस्टर लगाए हैं, जिनमें अल्पसंख्यकों से अपनी दुकानों को खाली करने को कहा गया है। खबर है कि ये पोस्टर पुरोला में लगाए...

  • माइक पेंस: दरबारी बना प्रतिस्पर्धी!

    अमेरिका में अगले राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी में मुकाबला मजेदारबन रहा है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उनके अपने खेमें में से चुनौती मिल रही है। माइक पेंस ने अपने पुराने बॉस डोनाल्ड ट्रंप से मुकाबला करना तय किया है। उम्मीदवारों की पहले से ही काफी लम्बी सूची में उनका नाम भी जुड़ गया है। बताया जा रहा है कि माइक पेंस पहले ऐसे उपराष्ट्रपति हैं जो उन्हें उपराष्ट्रपति बनवाने वाले अपने राष्ट्रपति के खिलाफ मैदान में उतरे है। पेंस एक सीधे-साधे उपराष्ट्रपति और अपने पूर्व बॉस डोनाल्ड ट्रंप के वफादार दरबारी थे।ट्रंप के कार्यकाल में एक के...

  • आंदोलन मैनेज हो गया?

    इस बात को नहीं भुलाया जा सकता कि आरोपी को तुरंत गिरफ्तार ना कर पुलिस ने डर और आशंकाओं का वह माहौल बनने दिया, जिससे उत्पीड़ित पहलवानों का हौसला टूटा। इस रूप में न्याय की भावना के साथ एक तरह का विश्वासघात हुआ है। यौन उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलन पर उतरे पहलवान सार्वजनिक रूप से भले यह कह रहे हों कि उनका संघर्ष जारी रहेगा, लेकिन जिस रूप में लगभग डेढ़ महीने तक यह आंदोलन चला, उसके आगे भी जारी रहने की संभावना न्यूनतम है। इस बात के साफ संकेत हैं कि गृह मंत्री अमित शाह इस आंदोलन को मैनेज...

  • सवाल सुरक्षित यात्रा का

    इस बीच कई ट्रेन दुर्घटनाएं ऐसी हुई हैं, जिनके लिए चरमराते बुनियादी ढांचे को जिम्मेदार ठहराया गया है। जाहिर है, इन हादसों के कारण ट्रेनों के रखरखाव और ट्रैक के नवीनीकरण पर खर्च किए जा रहे पैसे पर सवाल उठे हैं। ओडिशा के बालासोर में हुई ट्रेन दुर्घटना ने फिर भारत में रेलवे सुरक्षा के मुद्दे पर ध्यान खींचा है। यह हादसा ऐसे समय में हुआ, जब भारत सरकार रेल यात्रा को कथित रूप से तेज और सुखद बनाने की कोशिश कर रही है। पिछले कुछ सालों से भारत सरकार ने रेल नेटवर्क में से एक में हाई-स्पीड- ऑटोमेटेड ट्रेनों...

  • यूक्रेन का शुरू जवाबी हमला!

    यूक्रेन-रूस युद्ध में अहम मोड़ आया है। सोमवार पांच जून को यूक्रेन हमलावर हुआ। यूक्रेन ने जवाबी हमला शुरू किया। वैसे इस युद्ध को लेकर दुनिया ने, हम सबमें से अधिकांश ने तय कर लिया है कि वह किसके साथ है (हालाँकि भारत अब तक तय नहीं कर पाया है!)।को युद्ध के बारे में जानने-समझने वालों में एक वर्ग के लिए पांच जून जोश का दिन था। नहीं, मैं मजाक नहीं कर रही हूँ। यह खबर फ़्लैश होते ही कि यूक्रेन का जवाबी हमला शुरू हुआ है, अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में मानों रोमांच की एक लहर सी दौड़ गई। रूस-यूक्रेन युद्ध...

  • भागलपुर का पुल

    जब हादसा होता है, तो कुछ दिन तक मीडिया में उसकी चर्चा रहती है और लोग भी उस पर बातें करते हैं। हर ऐसी बड़ी घटना पर जांच का एलान किया जाता है। फिर धीरे-धीरे सब कुछ ‘सामान्य’ हो जाता है। बिहार के भागलपुर में गंगा नदी पर बन रहे पुल के गिरने का वीडियो दुनिया भर में चर्चित हुआ है। चूंकि ऐसे विजुअल कम ही मिलते हैं, इसलिए मेनस्ट्रीम से लेकर सोशल मीडिया तक पर लोगों ने इसे खूब देखा। और चूंकि यह घटना ओडिशा के बालासोर में हुई भीषण ट्रेन दुर्घटना से बने माहौल के बीच हुई, तो...

  • भारत आकर क्यों घिरे?

    इल्जाम है कि पिछले हफ्ते हुई भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री दहल ने नेपाल को पूरी तरह भारत पर निर्भर बना दिया। जबकि इस यात्रा के दौरान नेपाल को ज्यादा कुछ हासिल नहीं हुआ। नेपाल के विपक्षी दलों के साथ-साथ बुद्धिजीवियों और मीडिया का एक बड़ा हिस्सा भी प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल को घेरने में जुट गया है। उनका इल्जाम है कि पिछले हफ्ते हुई भारत यात्रा के दौरान दहल ने नेपाल को पूरी तरह ‘भारत पर निर्भर’ बना दिया। इस यात्रा के दौरान नेपाल को ज्यादा कुछ हासिल नहीं हुआ। कहा गया है कि दहल सीमा विवाद, विमान रूट,...

  • मौसम डरावना, धान संकट में!

    मई में खूब पानी बरसा, आंधी चली और बिजली चमकी। मौसम जितना सुहाना था उतना ही मनमौजी भी। गर्मी का मौसम बरसात के मानिंद लग रहा था और दिल्ली, लन्दन जैसा। श्रीनगर में मई में अक्टूबर का आभास हो रहा था। आकाश में बादल थे, आसमान का रंग धूसर था और लोग फिरन, पश्मीना और गर्म पानी की बोतलों का इस्तेमाल कर रहे थे। ये बेमौसम का सुहाना मौसम, दरअसल, डरावना है और हमें बताता है कि ग्लोबल वार्मिंग कितना गंभीर रूप अख्तियार कर चुकी है। ऐसा बताया जा रहा है कि जून में जलाने वाली गर्मी पड़ेगी। इस बेमौसमी...

  • रेल दुर्घटनाः जवाबदेही है ही नहीं!

    बालासोर ट्रेन हादसे के लिए आखिर कोई तो उत्तरदायी होगा? लेकिन वर्तमान सरकार के तहत उत्तरदायित्व एक अप्रचलित शब्द है। सरकार ने जो किया है, भले के लिए किया होगा- यह इस बात को मान कर चलने का दौर है! ओडिशा के बालासोर में हुई भीषण ट्रेन दुर्घटना की जांच सीबीआई को सौंपने की खबर अगर बहुत से लोगों के गले नहीं उतरी है, तो उसका कारण है। सीबीआई अपराधों की जांच करने वाली एजेंसी है। तो क्या सरकार को कहीं से इस बात के संकेत मिले हैं कि इस दुर्घटना के पीछे तोड़फोड़ हुई हो सकती है? जबकि रेलवे...

  • नीतिगत अस्थिरता ठीक नहीं

    अब सौर पैनलों पर टैक्स घटा, तो चीन से ही आयात बढ़ेगा। इससे भारत के बारे में क्या धारणा बनेगी? इसीलिए अपेक्षित यह है कि कोई कदम सभी पहलुओं पर पूरे विचार-विमर्श के बाद ही उठाया जाए।  एक खबर के मुताबिक भारत सरकार अब चीन से सौर पैनलों के आयात पर टैक्स घटाने पर विचार कर रही है। जबकि इसके पहले भारत ने चीन से आयात कम करने के लिए सौर पैनलों पर 40 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया था। सवाल है कि जब यह फैसला लिया गया, उसके बाद स्थिति में ऐसा क्या बदलाव आ गया है? एक विदेशी एजेंसी...

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