दिमाग कहें या बुद्धि, इसी की उड़ान ने, इसी से जन्मे आइडिया, खोज ने इंसान को गुफा से चंद्रमा तक पहुंचाया है। सहस्त्राब्दियां आईं-गईं, साम्राज्य बने-बिगड़े लेकिन बुद्धि की फितरत में उत्तरोत्तर वह सब होता गया
भारत का तंत्र आज दिल्ली के राजपथ पर ताकत के प्रदर्शन में सलामी लेगा जबकि राष्ट्र-राज्य के गण, लोग, किसान ट्रैक्टर रैली से तंत्र को चेताएंगे कि उनकी सुनो
नहीं। वैसे कतई नहीं जैसे डोनाल्ड ट्रंप से पटी थी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परिस्थितिजन्य, वक्त की राम मिलाई जोड़ी थे। यह अलग बात है कि बावजूद इसके डोनाल्ड ट्रंप से भारत का भला नहीं हुआ।
वाह! ईश्वर की अमेरिका पर आज अनुकंपा। उसकी चार साला मूर्ख-अहंकारी-रावण राज से आज मुक्ति। पर कहीं ऐन वक्त विध्न-बाधा तो नहीं? हां, दुनिया के तमाम भले, सभ्य, सत्यवादी और खुद अमेरिका के बुद्धिमना, जाग्रत नागरिक और वहां की व्यवस्था चिंता में है कि जो बाइडेन की बतौर राष्ट्रपति शपथ शांतिपूर्वक हो पाती है या नहीं।