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True Love : "मां" बनने के लिए Gujarat High Court पहुंची महिला, कहानी सुनकर आप भी नहीं रोक पाएंगे अपनी आंसू...

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अहमदाबाद | Reached court to become a mother: Reached court to become a mother : कई बार ऐसी खबरें सुनने को मिलती हैं जिन्हें सुनने के बाद आंखों के आंसुओं को रोकना मुश्किल हो जाता है. ऐसा ही एक मामला गुजरात के अहमदाबाद से सुनने को मिला है. अहमदाबाद में रहने वाले एक व्यक्ति की पत्नी ने मां बनने के लिए थक हार कर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. कोर्ट पहुंचने के पीछे महिला की एक दुख भरी कहानी है. बताया जा रहा है कि महिला का पति पिछले कई महीनों से कोरोना से संक्रमित है और उसके कई शरीर के अंगों ने काम करना बंद कर दिया है. ड़ॉक्टरों ने भी कह दिया है कि मरीज के बचने की उम्मीद ना करे बराबार है. ऐसे में में महिला अब अपने पति की निशाने के रूप में उसके एक बच्चे की मां बनना चाहती है. जब उसका साथ अस्पताल और IVF वालों में भी नहीं दिया तो उसने थक हार कर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. Reached court to become a mother :

कोर्ट ने कहा ये एक ‘ असाधारण स्थिति’’

Reached court to become a mother : गुजरात उच्च न्यायालय ने वडोदरा के एक अस्पताल को कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित एक व्यक्ति के नमूने ‘आईवीएफ/असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी’ (एआरटी) प्रक्रिया के लिए एकत्र करने का निर्देश दिया है, क्योंकि मरीज की जान बचने की उम्मीद बेहद कम है और उसकी पत्नी उसके बच्चे की मां बनना चाहती है.अदालत ने इसे एक ‘‘ असाधारण स्थिति’’ मानते हुए मंगलवार को मामले में आदेश सुनाया. मरीज की पत्नी की याचिका पर तत्काल सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति जे. शास्त्री ने वडोदरा के एक अस्पताल को ‘आईवीएफ/असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी’ (एआरटी) प्रक्रिया के लिए मरीज के नमूने एकत्र करने और चिकित्सकीय सलाह के अनुसार इसे उचित स्थान पर रखने का निर्देश दिया. इसे भी पढें - जब दो कांस्टेबलों से जासूसी के आरोप पर भारत के प्रधानमंत्री ने दे दिया था इस्तीफा Reached court to become a mother : राज्य सरकार और अस्पताल से मांगी उनकी सलाह Reached court to become a mother : मरीज की पत्नी के वकील निलय पटेल ने कहा कि याचिकाकर्ता आईवीएफ/एआरटी प्रक्रिया के जरिए उसके बच्चे की मां बनना चाहती हैं, लेकिन अस्पताल इसकी अनुमति नहीं दे रहा, इसलिए उसे अदालत का रुख करना पड़ा. अदालत ने कहा, ‘‘एक असाधारण महत्वपूर्ण स्थिति को देखते हुए अभी के लिए अंतरिम राहत दी जाती है और यह राहत याचिका की सुनवाई पूरी होने के बाद आने वाले फैसले के अधीन होगी.’ अदालत ने राज्य सरकार और अस्पताल के निदेशक को नोटिस जारी कर 23 जुलाई तक मामले पर अपना रुख स्पष्ट करने का भी कहा है. इसे भी पढें- कैडबरी चॉकलेट (Cadbury) में होता है बीफ ! कंपनी ने कहा- आधा दावा सच लेकिन…
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