
लखनऊ | UP Election Akhilesh Yadav : उत्तर प्रदेश में तारीखों की घोषणा के बाद से लगातार दल-बहल और संभावित गठबंधन पर चर्चा हो रही है. कुछ दिनों पहली ही समाजवादी पार्टी का राष्ट्र्रीय लोकदल (रालोद) का भी गठबंधन हो गया. सपा प्रमुख अखिलेश यादव और रालोद मुखिया जयंत चौधरी ने चुनाव लड़ने वाले प्रथम चरण के प्रत्याशियों की सूची भी जारी कर दी है. बताया जा रहा है कि अखिलेश और जयंत दोनों के ही तमाम चहेते नेता टिकट ना मिलने से नाराज हैं. इन चहेतों का नाराज होना, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा के लिए गड्ढा साबित हो सकता है. दरअसल, सपा और रालोद मुखिया द्वारा चुनाव लड़ने के लिए चिन्हित किए गए उम्मीदवारों को लेकर दोनों दलों के ताकतवर और जिताऊ उम्मीदवार सकते में हैं. इन उम्मीदवारों में कई ऐसे हैं, जिन्हें अखिलेश यादव और जयंत चौधरी ने चुनाव लड़ने का भरोसा दिया था.
सही उम्मीदवारों की अनदेखी की गई
UP Election Akhilesh Yadav : अब जब टिकट नहींं मिला है तो इन उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने की उम्मीदे खत्म हो गई है. अब मेरठ, मुजफ्फरनगर, बुलन्दशहर, सहारनपुर, रामपुर के ऐसे तमाम रालोद और सपा के नेता पार्टी नेताओं के फैसले से खफा हैं. यहीं कारण है कि घोषित उम्मीदवारों के खिलाफ नाराज नेता माहौल बनाने में जुट गए हैं. इन खफा नेताओं का कहना है कि पैसे वाले लोगों को टिकट मिला है. जिन्होंने ने एक घंटे भी पार्टी के लिए काम नहीं किया, वह एक दिन जयंत से मिलकर चुनाव लड़ने के लिए सिंबल पा गए, लेकिन दस वर्षों से पार्टी के लिए काम करने वाले छपरौली और बागपत के कार्यकर्ता ओर नेताओं की अनदेखी की गई.
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भीम आर्मी को अखिलेश ने दिया धोखा
UP Election Akhilesh Yadav : अखिलेश यादव के टिकट वितरण पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि अपने स्वार्थ के लिए अखिलेश यादव ने इमरान मसूद और भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर तक को धोखा दे दिया. इमरान मसूद ने अखिलेश यादव के कहने पर ही कांग्रेस से नाता तोड़कर सपा में आये थे. अखिलेश यादव ने उन्हें टिकट नहीं दिया. अब इमरान मसूद कहीं के नहीं रहे. सपा उन्हें टिकट दे नहीं रही है और जिस कांग्रेस में उनका टिकट पक्का था, उसे वह छोड़ चुके हैं. कुछ ऐसा ही व्यवहार अखिलेश यादव ने भीम आर्मी के चंद्रशेखर के साथ भी किया. अखिलेश ने उनके साथ चुनावी गठबंधन करने के मना कर दिया. कहा जा रहा है कि सपा नेताओं का यह असंतोष अखिलेश -जयंत दोनों को ही नुकसान पहुंचाएगा.
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मुजफ्फरनगर दंगे से अब भी भयभीत अखिलेश
UP Election Akhilesh Yadav : दो दशक बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में किसान के मिल रहे साथ से उत्साहित होकर रालोद ने अपनी शर्तों पर सपा से चुनावी समझौता किया. रालोद और सपा के इस चुनावी समझौते से पश्चिम यूपी में रालोद और सपा को चुनावी लाभ दिख रहा था. जिसके आधार पर अखिलेश यादव और जयंत चौधरी ने “यूपी बदलो” का नारा बुलंद किया. राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि अखिलेश यादव के शासन में मुजफ्फरनगर में हुए दंगे के दुष्परिणामों को लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव अभी भी भयभीत हैं. अखिलेश नहीं चाहते हैं कि इन चुनावों में सपा के उम्मीदवारों को इसका दुष्परिणाम भोगना पड़े, इसीलिए विधानसभा चुनावों के ठीक पहले सपा मुखिया ने एक तरह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गन्ना पट्टी रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के हवाले कर दी.
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