Kolkata: बंगाल चुनाव( Bangal Election) के करीब आने के साथ ही ये और भी ज्यादा दिलचस्प होता जा रहा है. बंगाल में सीधे तौर पर मुकाबला भाजपा (BJP) और टीएमसी ( TMC) के बीच देखा जा रहा है. लेकिन बिहार चुनाव में सबको चौंकाने वाले ओवैसी को कम आंकने की गलती किसी को भी नहीं करनी चाहिए. हालांकि ओवैसी( OWAISI) का डर बंगाल में भाजपा को नहीं है. इसके पीछे कारण भी जगजाहिर है क्योंकि बंगाल में ओवैसी भाजपा को कुछ खास नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे. बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से ओवैसी के मैदान में आने से भाजपा को ही फायदा होने वाला है. इसके पीछे का कारण है कि ओवैसी कहीं ना कहीं ममता बनर्जी के लिए परेशानी का सबक बन सकते हैं. ऐसे में बंगाल में रहने वाले मुस्लिमों के वोट पर बहुत कुछ फर्क पड़ने वाला है. साथ ही ये कहना भी गलत नहीं होगा कि अगर औवैसी ममता बैनर्जी(Mamata Banerjee) के वोट बैंक में सेंधमारी करने में कामयाब हो जाते हैं तो भाजपा को बहुत हद तक अप्रत्याशित(Unexpected) बढ़त मिल सकती है.
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27 से 30 प्रतिशत मुस्लिमों के लिए है खींचतान
बंगाल में मुस्लिम समुदाय के लोगों का प्रतिशत 27 से 30 के बीच है. ऐसे में बंगाल में पहली बार मुस्लिमों वोटरों को लुभाने के लिए होड़ सी मच गयी है. हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि ओवैसी के आने से भी कुछ खास फर्क नहीं पड़ने वाला है. वहीं कुछ ऐसे लोग भी लोग हैं जो ये मानते हैं कि टीएमसी को ओवैसी को हल्के में लेने की गलती नहीं करनी चाहिए. इसके पीछे का तर्क देते हुए लोगों का कहना है कि बिहार में भी किसा ने ये नहीं सोचा था कि ओवैसा कुछ खास कर पाएंगे. फिर भी बिहार में ओवैसी ने सबको चौंका दिया था.
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बंगाल के मुस्लिमों में है संशय की स्थिति
ओवैसी( OWAISI) ने अभी कुछ दिनों पहले अचानक( Sudden) से बंगाल का दौरा किया था. वे अचानक से बंगाल पहुंच गये थे. इसके बाद भी लोगों की भीड़ देखकर लग रहा था कि जैसे कोई रैली( Rally) पहले से आयोजित की गयी थी. इस बात से तो किसी को भी इनकार नहीं होगा कि ओवैसी को चाहने वालों की संख्या कम नहीं है. साथ ही ओवैसी भड़काऊ बयानों के कारण वे मुस्लिम समुदाय के युवा वर्ग में खासे लोकप्रिय हैं.ऐसे में बंगाल के मुस्लिम वोटरों में भी संशंय का माहौल है कि वे ममता बनर्जी(Mamata Banerjee) के साथ जाएं या फिर ओवैसी का साथ दें.
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