एक तरफ राजद और जदयू के विलय की चर्चा हो रही है तो दूसरी ओर रामविलास पासवान के परिवार के भी साथ आने की चर्चा शुरू हो गई है। कुछ दिन पहले यह कहा जा रहा था कि स्वर्गीय रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक जनता पार्टी के कई सांसद जदयू में जाने वाले हैं। ध्यान रहे पशुपति पारस केंद्र सरकार में मंत्री हैं और उनके साथ पांच सांसद हैं। दूसरी ओर लोकतांत्रिक जनता पार्टी रामविलास के नेता चिराग पासवान हैं और अपनी पार्टी में वे अकेले सांसद हैं। पिछली बार चिराग ने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा था लेकिन उन्होंने सिर्फ नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे थे। तब भी वे अपने को नरेंद्र मोदी का हनुमान बताते रहे थे।
जब तक नीतीश कुमार एनडीए के साथ थे तब तक चिराग की एंट्री एनडीए में बंद थी। तब वे राजद के तेजस्वी यादव के साथ दोस्ती बढ़ा रहे थे। लेकिन नीतीश और तेजस्वी के साथ आने के बाद स्थितियां बदल गई हैं। चिराग ने दो सीटों के उपचुनाव में भाजपा के लिए प्रचार किया है। बताया जा रहा है कि भाजपा के प्रयासों से चाचा भतीजे के फिर से साथ आने की संभावना बन गई है। वैसे भी पशुपति पारस को पता है कि रामविलास पासवान की विरासत और उनका वोट बैंक चिराग पासवान के साथ है। पारस को पता है कि वे अकेले रह कर राजनीति नहीं कर सकते हैं। चिराग के साथ आने और फिर पुरानी लोजपा बना कर भाजपा से तालमेल करने का उनको बड़ा फायदा होगा। इसलिए दोनों तरफ चाचा-भतीजे का संबंध बहाल हो रहा है। नीतीश और तेजस्वी साथ आए हैं तो पशुपति पारस और चिराग भी साथ आएंगे।
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