पटना। नीतीश कुमार ने जब से बिहार में शराबबंदी की है तब से शराब पीने वाले इसे पाने के नए नए तरीके खोजते रहते हैं। हाल ही में जहरीली शराब पीने से बिहार में कई लोगों को मौत भी हो गई थी। लेकिन इस तरह की घटनाओं से भी शराब पीने वाले कोई सबक नहीं लेते। शराब तस्करों ने भी इसे पीने वालों तक पहुंचाने के लिए नए नए तरीके इजाद कर लिए है ताकि वह पुलिस की गिरफ्त से बाहर रहे। bihar supply of liquor
'राम' मतलब रम और 'कृष्ण' माने व्हिस्की
शराब तस्कर शराब आपूर्ति के लिए बाकायदा कोडिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं। मुजफ्फरपुर में शराब तस्कर तो भगवान के नाम का इस्तेमाल कर शराब आपूर्ति में जुटे हुए हैं। शराब तस्करों ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताते हैं कि सभी जिलों के शराब तस्करों में अलग-अलग कोडिंग है, जो सप्ताह और 15 दिन बाद बदलते रहते हैं, जिससे पुलिस वालों को पता नहीं चल सके।
'छोटा डॉन' और 'बड़ा डॉन' कोड से शराब की मात्रा तय होती है
मुजफ्फरपुर में चौक-चौराहों पर शराब पीने वाले लोग 'राम' बोलने के बाद शराब तस्कर रम की पहुंचाते हैं और 'कृष्ण' बोलने के बाद व्हिस्की पहुंचाते हैं। बताया जाता है कि 'छोटा डॉन' और 'बड़ा डॉन' बोलने से शराब तस्करों को शराब की मात्रा का पता चल जाता है। तस्कर कहते हैं कि इस कोडिंग से पुलिस वालों में बचने में मदद मिलती है। इधर, गोपालगंज जिले की बात करें तो यहां कोडिंग 'चवन्नी', 'अठन्नी' है, जिससे शराब तस्कर शराब की आपूर्ति करते हैं।
जिलों में शराब पीने से हो रही लोगों की मौत की बाद पुलिस छापेमारी में कोडवर्ड के जरिये शराब की सप्लाई करने का खुलासा हुआ है। गोपालगंज में शराब धंधेबाजों और ग्राहकों के बीच 'चवन्नी-अठन्नी' और 'आधा किलो दूध' कोडवर्ड मशहूर है। चवन्नी का कोडवर्ड 30 रुपये में बिकनेवाली 100 एमएल की देसी पाउच है जबकि अठन्नी का कोडवर्ड 150 रुपये में बिकनेवाली 'बंटी-बबली' थी। गौरतलब है कि किसी नये ग्राहक को पुराने ग्राहक के माध्यम से ही आना होता है। तस्कर इतने चालक हैं कि क्षेत्र में पुलिस की गश्ती के लिए भी कोडवर्ड 'आधा किलो दूध' का इस्तेमाल किया जाता है। इस कोडवर्ड से शराब ग्राहक और धंधेबाज दोनों सचेत व सतर्क हो जाते हैं। ऐसे नहीं की शराब तस्कर इसी कोडवर्ड को बराबर अपनाते हैं। इसमें समय-समय पर बदलाव भी होता है।
एक तस्कर नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहते हैं कि चवन्नी-अठन्नी से पूर्व डिस्टिल्ड वाटर, फ्रूटी और अन्य नाम कोडवर्ड के रूप में इस्तेमाल होते रहे हैं। शराब तस्करों को जब पता चल जाता है कि पुलिस को इन कोडवर्ड की जानकारी हो गई है, तो इसे बदल दिया जाता है।
ब्ताया जाता है कि गोपालगंज में आने वाले अधिकांश शराब उत्तर प्रदेश से पहुंच जाते हैं। पुलिस से बचने के लिए उत्तर प्रदेश से शराब लाने के लिए धंधेबाज बेतिया के सीमा से लगे दियरा व बलुआ रास्तों का भी उपयोग करते हैं। बहरहाल, कथित तौर शराब से हुई मौतों के बाद राजय में शराबबंदी को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री 16 नवंबर को समीक्षा की भी घोषणा की है। अब देखना है कि इस समीक्षा के बाद शराब तस्करों पर कितना अंकुश लग सकता है।
बिहार में शराब चाहिए तो 'राम' और 'कृष्ण' बोलिए !
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