बिहार

Pitru Paksha के मौके पर मोक्षनगरी गयाजी में पिंडदान शुरू

ByNI Desk,
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Pitru Paksha के मौके पर मोक्षनगरी गयाजी में पिंडदान शुरू
गया। देश-विदेश में मोक्षनगरी के रूप में विख्यात गयाजी में सोमवार को पितृपक्ष (pitru paksha) के मौके पर अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने पिंडदान (Pinddan) शुरू दिया। pitru paksha pind daan बिहार (Bihar) के गया (Gaya) में आज से पितृपक्ष (pitru paksha) का आरंभ हो गया है। देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालु गयाजी में श्राद्ध कर रहे हैं और मोक्षदायिनी फल्गु नदी में तर्पण कर रहे हैं। इस बार श्रद्धालुओं की संख्या कुछ कम है। हालांकि, पिछले साल पितृपक्ष के दौरान श्रद्धालु ना के बराबर आए थे। क्योंकि उस समय पूर्ण लॉक डाउन (Lock down) था। पितृपक्ष (pitru paksha) के आज प्रथम दिन हजारों की संख्या में तीर्थयात्री देवघाट एवं फल्गु नदी के तट पर पहुंचे और पिंडदान कर्मकांड की प्रक्रिया शुरू की। पितृपक्ष के शुभारंभ पर श्रद्धालु फल्गु नदी (Falgu river) में बैठकर अपने पुरखों के आत्मा की शांति के लिए पूरे विधि-विधान के साथ पिंडदान और तर्पण कर रहे हैं। इस दौरान तीर्थयात्रियों द्वारा कोविड-19 का भी अनुपालन किया जा रहा है। स्थानीय पंडित सुजीत कुमार मिश्रा (Sujit kumar mishra) ने बताया कि सरकार द्वारा जारी कोविड-19 गाइडलाइन (Covid 19) का अनुपालन करते हुए पिंडदान की प्रक्रिया संपन्न कराई जा रही है। मास्क, सैनिटाइजर एवं आपस में दूरी रखने की सलाह तीर्थयात्रियों को दी जा रही है। एक जगह पर तीर्थयात्रियों की भीड़ ज्यादा ना हो इस बात का भी ख्याल रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि गयाजी में पिंडदान का अलग महत्व है। यहां पिंड और बाल अर्पित करने की प्रथा है, इससे पूर्वजों की आत्मा को शांति प्राप्त मिलती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, स्वयं भगवान श्रीराम (Shriram) गयाजी आए थे और और अपने पिता राजा दशरथ (Raja Dashrath) का पिंडदान (Pinddan) किया था। Read also पूर्वजों के प्रति आभार है श्राद्ध वहीं, कोलकाता से आए पुरोहित सत्यजीत बनर्जी कहते हैं कि मृत्यु गति को प्राप्त पूर्वजों की आत्मा की शांति, परिवार की सुख-समृद्धि एवं व्यापार में उन्नति के लिए गया में पिंडदान किया जाता है। गया में पिंडदान का अलग महत्व है। विगत दो सालों से कोरोना के कारण पिंडदान कर्मकांड बंद था, जिस कारण हम लोगों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चली थी। इस बार पितृपक्ष मेला की स्वीकृति नहीं दी गई, लेकिन पिंडदान कर्मकांड की स्वीकृति सरकार ने दी है, इससे हम लोगों को थोड़ी आस जगी है। पिंडदान के दौरान हमलोग कोरोना गाइडलाइन का भी पूरी तरह अनुपालन कर रहे हैं। shardha छत्तीसगढ़ के बिलासपुर  (Bilaspur) से आए तीर्थयात्री राज नारायण तिवारी ने बताया कि अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान (Pinddan) करने आए हैं। ऐसी मान्यता है कि गया में पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। यह परंपरा वर्षो से चली आ रही है। यही वजह है कि अपने पूरे परिवार के साथ फल्गु नदी के पवित्र जल से तर्पण एवं श्राद्ध कर्मकांड कर रहे हैं। सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का भी अनुपालन कर रहे हैं। कोरोना कि दोनों डोज लेने के बाद परिवार के साथ यहां पहुंचे हैं और पिता की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान कर्मकांड (pitru paksha) कर रहे हैं।
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