चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सुराज अभियान के तहत चल रही अपनी पदयात्रा में कमाल की बात कही है। उन्होंने लोगों से कहा कि लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव सिर्फ नौंवी पास हैं फिर भी बिहार के उप मुख्यमंत्री बने हैं, जबकि आम आदमी के नौवीं पास बेटे को चपरासी की नौकरी भी नहीं मिलती है। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद का बेटा होने की वजह से तेजस्वी को यह पद मिला है। इसके बाद राजद हमलावर हुई और उसने कहा कि प्रशांत किशोर का असली एजेंडा सामने आ गया। पीके का निशाना वंशवाद है लेकिन उन्होंने संदर्भ गलत चुन लिया। देश में कितने ही बड़े नेता हुए, जिनकी औपचारिक शिक्षा नहीं थी लेकिन उन्होंने बड़ा काम किया।
लेकिन उससे बड़ा सवाल है कि तेजस्वी यादव को पहली बार उप मुख्यमंत्री किसने बनवाया? उनके लिए किसने प्रचार किया? यह काम प्रशांत किशोर ने ही किया था। प्रशांत किशोर ने बतौर चुनाव रणनीतिकार राजद, जदयू और कांग्रेस का तालमेल कराया था। राजद का तो बिहार में लगभग सफाया हो गया था। 2010 के विधानसभा चुनाव में राजद को विधानसभा में सिर्फ 22 सीटें मिली थीं और 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को सिर्फ चार लोकसभा सीटें मिली थीं। इसके बाद 2015 में प्रशांत किशोर की एंट्री हुई। उन्होंने भाजपा से संबंध तोड़ चुके नीतीश कुमार का राजद और कांग्रेस के साथ तालमेल कराया और बतौर चुनाव रणनीतिकार महागठबंधन को चुनाव लड़वाया। उनकी रणनीति कारगर हुई और राजद 22 से 80 विधानसभा सीट वाली पार्टी बन गई। उसी समय महागठबंधन की सरकार में पहली बार तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री बने। सोचें, प्रशांत किशोर ने जिसे जी-जान लगा कर उप मुख्यमंत्री बनवाया अब उनकी योग्यता पर सवाल उठा रहे हैं!