रायपुर। छत्तीसगढ़ पर्यटन (Chhattisgarh Tourism) के लिहाज से समृद्ध क्षेत्र है, यहां प्राकृतिक सौंदर्य (Natural Beauty) से परिपूर्ण स्थल (Perfect Site) तो हैं ही साथ में धार्मिक आस्था (Religious Faith) से जुड़े केंद्र भी। इसके चलते राज्य सरकार (State Government) उन इलाकों को पर्यटन केंद्र (Tourist Center) के तौर पर विकसित करने में लगी है जहां से भगवान राम (Lord Ram) कभी गुजरे थे। राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के चल रहे प्रयासों का ही नतीजा है कि साल 2021 में भारतीय और विदेशी मिलाकर एक करोड़ 15 लाख 32 हजार सैलानियों ने छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) का भ्रमण किया।
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) एक ऐसी पवित्र भूमि (Holy Land) है, जहां वनवास काल में भगवान राम के चरण उत्तर में कोरिया जिले के सीतामढ़ी हरचौका (Sitamarhi Harchouka) से दक्षिण में सुकमा जिले के कोंटा (Konta) तक पड़े। उत्तर से दक्षिण तक सात सौ किलोमीटर के विशाल क्षेत्र (Vast Area) में फैला विविध प्रकार के प्राकृतिक सौंदर्य (Natural Beauty) और सांस्कृतिक धरोहरों (Cultural Heritage) को समेटे हुए हैं। यहां की धरती वन, वन्यजीव, नदी, पर्वत-पहाड़ और झरनों जैसी प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। उत्तर के पाट क्षेत्र से दक्षिण की पहाड़ियों तक प्रकृति द्वारा उकेरे अनेक रमणीय प्राकृतिक स्थल और अनुपम सौंदर्य इस राज्य को प्रकृति का वरदान है। भगवान राम का ननिहाल छत्तीसगढ का माना जाता है़, राम नाम की महिमा यहां की संस्कृति में रची बसी हुई है। भगवान राम की माता कौशल्या (Mata Kaushalya) का पूरे विश्व में एकमात्र मंदिर (Only Temple) यहीं स्थित है। राजधानी रायपुर के निकट चंदखुरी स्थान (Chandhuri Place) पर यह मंदिर स्थित है।
वनवास के दौरान भगवान राम के चरण जिस-जिस स्थान पर पड़े उन राममय क्षेत्र का विकास "राम वनगमन पर्यटन परिपथ" (Ram Vanagan Tourism Circuit) विकास परियोजना (Development Project) के माध्यम से किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल (Chhattisgarh Tourism Board) द्वारा राम वनगमन पर्यटन परिपथ के 75 स्थलों को चिन्हित किया गया है। प्रथम चरण में नौ स्थलों सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (सरगुजा), शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा-सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर) और रामाराम (सुकमा) में "राम वनगमन पर्यटन परिपथ" के रूप में नई सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। पूरे परिसर का सैांदर्यीकरण (Beautification) भी किया जा रहा है। राम वन गमन पर्यटन परिपथ लम्बाई लगभग 2260 किलोमीटर है जिसका निर्माण, चौड़ीकरण एवं मरम्मत का कार्य किया जा रहा है। यहां पर्यटकों के ठहरने, भोजन, पानी, पाकिर्ंग आदि की व्यवस्था के लिए छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा कार्य किया जा रहा है। राज्य में पर्यटकों की सुविधा के लिए उच्च स्तरीय पर्यटन सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।
राज्य के प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थानों पर एथनिक रिसॉर्ट, कॉटेज, वॉटर स्पोर्टस जैसी सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। यहां राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्य प्राणी अभ्यारण्यों के साथ-साथ गौरवशाली लोक संस्कृति (Glorious Folk Culture) का अद्वितीय उदाहरण भी है। बस्तर क्षेत्र में कुटुमसर गुफा (Kutumsar cave) एवं कांगेर घाटी, राष्ट्रीय उद्यान, चित्रकोट जलप्रपात महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है जो अपनी अद्भुत छटा के कारण पर्यटकों का दिल जीत रहे हैं। छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों के बारे में पर्यटकों को सुलभ जानकारी उपलब्घ कराने तथा पर्यटन स्थलों के भ्रमण के लिए व्यक्तिगत एवं टूर पैकेज के अन्तर्गत आरक्षण की सुविधा प्रदान करने के लिए छत्तीसगढ़ पर्यटन मण्डल द्वारा नई दिल्ली, गुजरात मध्य प्रदेश के अतिरिक्त प्रदेश में 11 स्थानों पर पर्यटन सूचना केन्द्र स्थापित किया गया है। (आईएएनएस)
छत्तीसगढ़ राम वनगमन पथ बन रहा पर्यटन क्षेत्र
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