नई दिल्ली। किसान आंदोलन का समर्थन करने वाली अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के साथ किसान आंदोलन से जुड़ा टूलकिट साझा करने के आरोप में गिरफ्तार दिशा रवि को अभी जेल में रहना होगा। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की जमानत याचिका पर सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट इस पर मंगलवार यानी 23 फरवरी को फैसला सुना सकती है। गौरतलब है कि इससे एक दिन पहले शुक्रवार को पुलिस ने दिशा को अदालत में पेश करते समय कहा था कि उन्हें दिशा को दो अन्य आरोपियों के सामने बैठा कर 22 फरवरी को पूछताछ करनी है।
बहरहाल, शनिवार को दिशा की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान पुलिस ने अदालत को बताया कि भारत को बदनाम करने की ग्लोबल साजिश में दिशा भी शामिल है। पुलिस ने कहा कि किसान आंदोलन की आड़ में माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गई थी। दिशा ने सिर्फ टूलकिट बनाई और शेयर नहीं की, बल्कि वह खालिस्तान की वकालत करने वाले के संपर्क में भी थी। पुलिस ने दावा किया कि खालिस्तानी संगठनों ने दिशा का इस्तेमाल किया। हालांकि दिशा के वकील ने इन आरोपों को निराधार बताया। साथ ही अदालत ने भी पुलिस के अनुमानों पर सवाल उठाए।
पुलिस ने बताया कि यह पूरा मामला सिर्फ टूलकिट का नहीं था। इसका असली मकसद भारत को बदनाम करना और अशांति फैलाना था। पुलिस ने कहा कि दिशा ने व्हाट्सऐप चैट डिलीट की, क्योंकि उसे कानूनी कार्रवाई का डर था। इससे पता चलता है कि टूलकिट के पीछे बहुत बड़ी साजिश थी। इस पर अदालत ने पूछा- आपके पास क्या सबूत है कि टूलकिट और 26 जनवरी को हुई हिंसा में कोई संबंध है। इस पर दिल्ली पुलिस ने कहा कि अभी जांच चल रही है और पुलिस को इनकी तलाश करनी है।
इससे पहले शुक्रवार को अदालत ने दिशा को पांच दिन की पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद तीन दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। शुक्रवार को पुलिस ने अदालत को बताया था कि दिशा ने मामले में सह आरोपी शांतनु और निकिता जैकब पर सारे आरोप डाल दिए थे। लिहाजा, पुलिस 22 फरवरी को दिशा, शांतनु और निकिता को आमने-सामने बैठा कर बातचीत कराना चाहती है। ऐसे में दिशा की रिमांड जरूरी है। सो, संभव है कि 22 फरवरी को दिशा को फिर पुलिस रिमांड में भेजा जा सकता है।
इस बीच स्वीडेन की पर्यावरण कार्यकर्का ग्रेटा थनबर्ग ने दिशा रवि का समर्थन किया है। उन्होंने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर लिखा कि बोलने की आजादी और शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार के साथ कोई समझौता नहीं हो सकता। किसी भी लोकतंत्र में यह मूल अधिकार होना चाहिए। इससे पहले ग्रेटा ने तीन फरवरी को ट्विटर पर किसान आंदोलन का समर्थन किया था और उससे जुड़ी टूलकिट शेयर की थी। इसके अगले दिन उन्होंने एक ट्विट कर कहा था कि कोई भी ताकत उन्हें किसानों का समर्थन करने से रोक नहीं सकती। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने 14 फरवरी को दिशा को बेंगलुरू से गिरफ्तार किया था।
दिशा रवि की जमानत पर फैसला सुरक्षित
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