भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली नगर निगम में अपना मेयर बनाने का इरादा छोड़ दिया है। चुनाव नतीजों के तुरंत बाद सात दिसंबर को पार्टी के कई नेताओं ने दावा किया है कि भले आम आदमी पार्टी को बहुमत मिल गया है लेकिन मेयर तो भाजपा का ही बनेगा। भाजपा ने कुछ दिन पहले ही चंडीगढ़ में यह कारनामा किया था कि बहुमत आम आदमी पार्टी को मिला लेकिन मेयर भाजपा का बना। सो, आप और कांग्रेस दोनों के नेता आशंकित थे। आप को लग रहा था कि उसके पार्षद टूटेंगे तो कांग्रेस को आशंका थी कि उसके जो नौ पार्षद जीते हैं वे पाला बदल कर भाजपा या आप के साथ जा सकते हैं। कहा जा रहा था कि आप से जीते करीब 20 पार्षद ऐसे हैं, जो पहले भाजपा में थे और टिकट नहीं मिलने पर आप के साथ गए। वे घर वापसी कर सकते हैं।
लेकिन अब भाजपा ने यह इरादा छोड़ दिया है। भाजपा ने साफ कर दिया है कि आम आदमी पार्टी को बहुमत मिला है और मेयर भी उसी का बनेगा। सो, 15 दिसंबर से पहले दिल्ली को नया मेयर मिल जाएगा, जो आम आदमी पार्टी का होगा। अब सवाल है कि भाजपा ने अपना इरादा क्यों बदला? असल में भाजपा को लग रहा है कि दिल्ली सरकार और नगर निगम दोनों आम आदमी पार्टी के हाथ में जाने से आप को एक्सपोज करना आसान होगा। लोगों की उम्मीदें पूरी नहीं होंगी तो लोग नाराज होंगे और आप के खिलाफ एंटी इन्कंबैंसी होगी। अरविंद केजरीवाल ने डबल इंजन की सरकार में दिल्ली की सारी समस्याओं का समाधान करने का वादा किया है। वादे पूरे नहीं हुए तो अगले चुनाव में आप को मुश्किल होगी। इसी तरह भाजपा को नगर निगम में होने वाले भ्रष्टाचार को उजागर करने का मौका भी मिलेगा।