नई दिल्ली। छठ पूजा से पहले पर्यावरणविदों ने दिल्ली सरकार (Delhi government) पर यमुना (Yamuna) को प्रदूषण (pollution) मुक्त बनाने के लिए ‘पर्याप्त कार्रवाई नहीं करने’ का आरोप लगाया, क्योंकि बृहस्पतिवार को कालिंदी कुंज के पास नदी का कुछ हिस्सा जहरीले झाग से ढका था।
छठ पूजा 30 और 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दौरान श्रद्धालु नदियों में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने यमुना किनारे निर्दिष्ट घाटों पर छठ पूजा आयोजित करने की अनुमति दी है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से श्रद्धालुओं के लिए साफ सुरक्षित घाट और पानी सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।
पर्यावरणविद विमलेन्दु झा ने कहा कि नदी में लगातार झाग बनने का मुख्य कारण राजनीतिक मंशा की कमी, यमुना को साफ करने में तत्परता और ठोस कार्रवाई का अभाव जिम्मेदार है। झा ने कहा कि पर्यावरण शासन दिल्ली सरकार के लिए प्राथमिकता नहीं लगता है। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि राजनीतिक इरादे की कमी है, यमुना की सफाई को लेकर कोई तत्परता नहीं है और ठोस कार्रवाई का अभाव है, जिससे बार-बार नदी में झाग की समस्या पैदा होती है।
उन्होंने हर साल प्रदूषण के पीछे की वजह नदी में न्यूनतम प्रवाह बरकरार रहने की कमी का भी हवाला दिया। झा ने कहा, दिल्ली नदी में 3,50 करोड़ लीटर से अधिक निगमीय गंदे जल को प्रवाहित करती है और ऊंचे दावों के बावजूद, 50 प्रतिशत से अधिक गंदा जल या तो अनुपचारित रहता है या समुचित निस्तारण नहीं किया जाता और सीधे यमुना में बहा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि नदी में न्यूनतम प्रवाह की कमी यमुना के प्रदूषण का एक और प्रमुख कारण है। यह पूछे जाने पर कि जहरीले झाग को हटाने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि नदी की सफाई शुरू हो गई है।
पर्यावरणविद झा ने कहा कि दिल्ली सरकार को नदी में प्रदूषित पानी को प्रवाहित करने से पहले सीवेज के हर बूंद का उपचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, नदी को साफ रखने के लिए सरकार को कुछ महत्वपूर्ण कार्य करने की आवश्यकता है। नदी में नालियों के पानी को सीधे प्रवाहित करने से पहले सीवेज के हर बूंद का उपचार किया जाए, यमुना में पानी का पर्याप्त प्रवाह बनाया जाए और अपशिष्ट उपचार योजना एवं प्रबंधन के लिए कदम उठाए जाएं।
एक अन्य पर्यावरणविद् भावरीन कंधारी ने आरोप लगाया कि लापरवाही और ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण हर साल जहरीले झाग (Toxic) से नदी के कुछ हिस्से ढक जाते हैं। कंधारी ने कहा, यमुना और हिंडन किनारों पर, सैकड़ों फार्महाउस और उद्योग प्रदूषकों को नदी में छोड़ रहे हैं। लगभग 92 नाले हैं जो सीधे यमुना में खुलते हैं, जिनमें से 62 पर कोई शोधन नहीं होता हैं। इसलिए, लापरवाही और वास्तविक कार्रवाई की कमी के कारण यमुना में हर साल जहरीला झाग पैदा होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई नागरिकों ने उल्लंघन की ओर इशारा किया है लेकिन सर्वेक्षण करने के लिए जमीन पर कोई अधिकारी मौजूद नहीं है।
यमुना में विषैले झाग, कैसे हो छठ पूजा!
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