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दिल्ली में फिर पंजाबी राजनीति

ByNI Political,
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दिल्ली में फिर पंजाबी राजनीति
दिल्ली में एक समय राजनीति की धुरी पंजाबी और बनिया समुदाय होता था। खासतौर से भाजपा की राजनीति पंजाबियों और बनियों को ईर्द गिर्द घूमती थी। थोड़े से जाट भी इसमें शामिल थे, जिसके बड़े नेता साहिब सिंह वर्मा थे, जो थोड़े दिन दिल्ली के मुख्यमंत्री भी रहे। लेकिन लंबे समय तक मदनलाल खुराना और विजय कुमार मल्होत्रा दिल्ली भाजपा के सबसे बड़े नेता रहे। इनके अलावा चरतीलाल गोयल पार्टी के बड़े नेता थे, जिनके बेटे विजय गोयल हैं। वैश्य समाज से ही डॉक्टर हर्षवर्धन भी भाजपा की राजनीति का बड़ा चेहरा थे। 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने किरण बेदी आजमाया था। एक तरह से पूरी राजनीति पंजाबी और वैश्य की थी। लेकिन पिछले आठ नौ साल में भाजपा ने प्रवासी नेताओं को आगे बढ़ाया। दिल्ली से बाहर के मनोज तिवारी, सतीश उपाध्याय और आदेश गुप्ता प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। अब भी दिल्ली में विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह विधूड़ी हैं, जो एनसीपी में थे पहले। वे गूजर समुदाय के हैं। अब भाजपा ने लंबे समय के बाद पंजाबी समुदाय के वीरेंद्र सचदेवा को प्रदेश का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। बताया जा रहा है कि भाजपा अब पूर्णकालिक अध्यक्ष भी किसी पंजाबी को ही बनाएगी। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी ने पंजाबी समुदाय की शैली ओबरॉय को दिल्ली का मेयर बनाने का फैसला किया है। ध्यान रहे पंजाबी भाजपा का कोर वोट रहा है। वैश्य वोट में अरविंद केजरीवाल पहले ही सेंध लगा चुके हैं। अब अगर पंजाबी वोट भी हाथ से निकला तो भाजपा को दिक्कत होगी। इसलिए वह भी पंजाबी राजनीति पर लौटेगी। भाजपा को यह भी लग रहा है कि प्रवासी वोट पूरी तरह से उसके साथ नहीं जुड़ रहा है।
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