नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के लिए मार्च करने वाले किसान दिल्ली की सीमा पर डटे हैं। सोमवार को लगातार पांचवें दिन किसानों का प्रदर्शन जारी रहा और अब वे दिल्ली की सीमा को चारों तरफ से सील करने की तैयारी में हैं। अभी कम से कम पांच हाईवे के रास्ते किसान दिल्ली पहुंचे हैं और अलग अलग सीमाओं पर तंबू लगा कर बैठे हैं। पहले किसानों का जमावड़ा हरियाणा की तरफ लगती सीमा पर थी लेकिन अब उत्तर प्रदेश की सीमा पर भी किसान जम गए हैं।
किसान संगठनों ने बुराड़ी के निरंकारी समागम ग्राउंड में जाकर धरना देने के सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। वे दिल्ली के रामलीला मैदान में या जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करना चाहते हैं या फिर सीमा पर डटे रहने का संकल्प किया है। कड़ाके की ठंड़ के बीच किसान राशन-पानी लेकर, तंबू गाड़ कर सीमा पर बैठे हैं। सोमवार को किसान संगठनों ने संकेत दिया है कि वे दिल्ली में प्रवेश की पांच सीमाओं को सील करने की तैयारी में हैं। उन्होंने सोमवार की शाम की हर सीमा पर मोमबत्ती जला कर सांकेतिक प्रदर्शन किया।
किसानों के बढ़ते जमावड़े को देखते हुए पुलिस ने सिंघु और टिकरी बॉर्डर को आवाजाही के लिए बंद कर दिया है। इस बीच पंजाब और हरियाणा के किसानों के जत्थे का दिल्ली पहुंचना जारी है। दूसरी ओर एक दिसंबर को देश भर के किसान अपने-अपने राज्यों में प्रदर्शन कर दिल्ली में जुटे किसानों का समर्थन करेंगे। उधर जो किसान बुराड़ी में निरंकारी समागम ग्राउंड पर मौजूद हैं उन्होंने वहीं पर प्रदर्शन जारी रखा है। उत्तर प्रदेश की ओर से आने वाले किसानों की संख्या को देखते हुए गाजीपुर-गाजियाबाद सीमा पर पुलिस ने बैरिकेड्स और सुरक्षा बढ़ा दी है।
इस बीच खबरों के हवाले से बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार किसानों को बिना शर्त वार्ता के प्रस्ताव भेज सकती है। यह प्रस्ताव किसी भी समय भेजा जा सकता है। सरकार प्रदर्शनकारी किसानों के साथ दिल्ली के विज्ञान भवन में बुला कर बात करने का प्रस्ताव भेज सकती है। गौरतलब है कि इससे पहले केंद्र ने किसानों को प्रस्ताव दिया था कि वे बुराड़ी के निरंकारी समागम ग्राउंड में पहुंचे तो सरकार उनसे तत्काल बात कर सकती है। पर किसानों ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था। सरकार की ओर से सबसे पहले तीन दिसंबर को वार्ता का प्रस्ताव दिया गया था।
सरकार ने बनाई रणनीति
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शनकारी किसानों के बढ़ते जमावड़े के बीच सोमवार को दिन भर केंद्र सरकार के आला मंत्री इससे निपटने की रणनीति पर चर्चा करते रहे। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस मुलाकात में भाजपा के दूसरे नेता भी मौजूद थे। इससे एक दिन पहले राजनाथ सिंह और दूसरे वरिष्ठ मंत्रियों की भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से इस सिलसिले में बात हुई थी।
सोमवार को हुई मंत्रियों की बैठक के बाद ऐसी खबरें आई हैं कि सरकार किसानों से बिना किसी शर्त के बातचीत करने पर विचार कर रही है। सूत्रों के हवाले से आई खबरों में बताया गया है कि किसानों को किसी भी वक्त बातचीत का न्योता भेजा जा सकता है। इससे पहले सरकार ने कुछ शर्तों के साथ वार्ता की पेशकश की थी, जिसे रविवार को किसानों ने मानने से इनकार कर दिया था।
इस बीच केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कृषि कानूनों पर सफाई देते हुए कहा है कि नए कृषि कानून एपीएमसी मंडियों को खत्म नहीं करते हैं। मंडियां पहले की तरह ही चलती रहेंगी। सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने भी कहा है कि कृषि कानून पर गलतफहमी न रखें। उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों ने पिछले साल से ज्यादा धान मंडी में बेचा और ज्यादा एमएसपी पर बेचा।