नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के 75 दिन के बाद एक बार फिर चीन ने इसी सेक्टर में पैंगोंग झील के पास भारतीय सीमा में घुसपैठ का प्रयास किया। इस बार पहले से भी ज्यादा अलर्ट रहे भारतीय जवानों ने चीन के प्रयासों को नाकाम कर दिया। पर दोनों देशों के बीच उत्तरी सीमा पर एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। चीन ने भारतीय सीमा के पास लड़ाकू विमान भी तैनात किए हैं।
भारतीय सेना ने सोमवार को कहा कि भारतीय जवानों ने पैंगोंग सो क्षेत्र में यथास्थिति बदलने के लिए चीनी सेना की ओर से किए गए एकतरफा प्रयास को विफल कर दिया है। सेना की ओर से चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी, पीएलए की कार्रवाई को उकसावे वाली सैन्य गतिविधि कहा गया है। सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने बताया- पीएलए ने पूर्वी लद्दाख के गतिरोध पर सैन्य और राजनयिक बातचीत के जरिए बनी पिछली आम सहमति का उल्लंघन किया और 29-30 अगस्त की दरम्यानी रात को यथास्थिति बदलने के लिए उकसावेपूर्ण सैन्य गतिविधि संचालित की।
कर्नल आनंद ने यह भी बताया कि घटना के बाद इस मामले को सुलझाने के लिए चुशूल में ब्रिगेड कमांडर स्तर की एक फ्लैग मीटिंग हुई है। उन्होंने एक बयान में कहा- भारतीय सैनिकों ने पैंगोंग सो के दक्षिणी किनारे पर पीएलए की गतिविधि को पहले ही विफल कर दिया, हमने पोजिशन मजबूत करने और जमीनी तथ्यों को एकतरफा बदलने के चीनी इरादों को विफल करने के लिए उपाय भी किए। कर्नल आनंद ने कहा कि भारतीय सेना बातचीत के जरिए शांति और स्थिरता बनाए रखने को प्रतिबद्ध है, लेकिन साथ ही देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए भी उतनी ही प्रतिबद्ध है।
गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच पहली बार गलवान घाटी में 15 जून को एक हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। उसके बाद भारत और चीन ने पिछले ढाई महीने में कई स्त्तर की सैन्य और राजनयिक बातचीत की है लेकिन पूर्वी लद्दाख मामले पर कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच फोन पर बातचीत के बाद छह जुलाई को दोनों पक्षों की ओर से पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। यह प्रक्रिया मध्य जुलाई से आगे नहीं बढ़ी है।
कांग्रेस ने मोदी को ललकारा
लद्दाख में ढाई महीने में दूसरी बार चीन के सैनिकों की घुसपैठ और भारतीय सैनिकों की झड़प के बाद कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ललकारते हुए कहा कि वे चीन को कब लाल आंख दिखाएंगे। गौरतलब है कि 29-30 अगस्त की दरम्यानी रात को चीनी सैनिकों ने पैंगोंग झील के पास घुसपैठ का प्रयास किया था, जिसे भारतीय जवानों ने विफल कर दिया। इसे लेकर कांग्रेस ने हमलावर रुख दिखाया है।
कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि रोज नई चीनी घुसपैठ के खिलाफ हमारी फौज तो खड़ी है पर मोदीजी की लाल आंखें कब दिखेंगी। गौरतलब है कि जब यूपीए की सरकार थी तब गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने यह जुमला बोला था और मनमोहन सिंह से कहा था कि वे चीन को लाल आंख कब दिखाएंगे। कांग्रेस उसे ही दोहराती रहती है।
इस बीच बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने भी कहा कि सरकार को और सतर्क रहने की जरूरत है। भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी चीन की इस हरकत के बाद अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्विट करके कहा- चीनी भारतीय नेताओं की कद्र नहीं करते हैं।
पैंगोंग झील के पास चीन से हुई झड़प
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