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भारत की व्यापक सांस्कृतिक विविधता ही आकर्षण का केन्द्र : पटेल

ByNI Desk,
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भारत की व्यापक सांस्कृतिक विविधता ही आकर्षण का केन्द्र : पटेल
नई दिल्ली। केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा है कि देश की व्यापक सांस्कृतिक विविधता ही विश्व के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है और केन्द्र सरकार देश की इस समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण और मजबूत बनाने की दिशा में अथक प्रयास कर रही है। पटेल ने बुधवार को यहां पहले अंतरराष्ट्रीय विरासत परिसंवाद एवं प्रदर्शनी (आईएचएसई) का उद्घाटन करने के मौके पर कहा कि देश की विविधतापूर्ण सांस्कृतिक विरासत ही हमारी धरोहर है और यही पर्यटकों के भारत आने का प्रमुख आकर्षण केन्द्र बिन्दु हैं तथा सरकार इसे बनाए रखने और पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में प्रयास कर रही है।
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यह प्रदर्शनी एक माह तक चलेगी और इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और कर्नाटक राज्य विज्ञान एवं तकनीक परिषद (केएससीएसटी) ने संयुक्त रूप से प्रायोजित किया है तथा इसका आयोजन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली ने किया है। उन्होंने कहा कि आज के युग की मौजूदा तकनीक का इस्तेमाल विरासत को बचाने के लिए करने ने केवल समाज का हर हिस्सा इस तक आसानी से पहुंच बना सकेगा बल्कि यह वास्तव में एक महान प्रयास साबित होगा। उन्होंने कहा आईआईटी वालों ने यह बहुत अच्छा काम किया है और विज्ञान का मतलब सिर्फ अनुसंधान ही नहीं होता है बल्कि यह आम जनता तक जाए और सारा फोकस इसी बात पर रहना चाहिए क्योंकि देश के संग्रहालयों और अभिलेखागारों में अनपढ़ आदमी भी आएगा और एक शोध छात्र भी आएगा और अपनी सुविधा के लिए तकनीक के उस गलियारे से अगर वह गुजरेगा तो उसे पता रहेगा कि उसे किस तरफ जाना हैं। यह एक सराहनीय कदम है जो समय बचाएगा। इस इस मौके पर उन्होंने दो पुस्तकों डिजिटल हैरिटेज पर आधारित दो संपादित पुस्तकों-‘डिजिटल हम्पी, प्रिजर्विंग इंडियन कल्चरल हैरिटेज’ और हैरिटेज प्रिजर्वेशन: एक कम्प्यूटेशनल एप्रोच’का विमोचन भी किया। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में वैज्ञानिकों, अकादमिक विशेषज्ञों, इतिहासकारों, सामाजिक विज्ञानियों, संग्रहालय विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं के बीच देश की विरासत को संरक्षित करने की बेहतर तकनीकों का अपनाने पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
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इस दौरान डीएसटी सचिव आशुतोष शर्मा ने कहा“ मैंने पिछले पांच वर्षों में देश की सांस्क़ृतिक विरासत के डिजिटलीकण के काम को देखा है और यह प्रदर्शनी उन सब प्रयासों को समाहित करने का एक प्रयास है। एक स्टार्टअप : विजारा टेक्नॉलाजीज ने देश की सांस्कृतिक विरासत का पुनर्सृजन करने के लिए एआर, वीआर, एमआर और एल तकनीकों का इस्तेमाल करके काफी उपलब्धि हासिल की है और यह हम सभी जानते हैं कि आने वाले वर्षों में जीवन के हर क्षेत्र में तकनीकी प्रौद्योगिकियों का अच्छा समावेश रहेगा। यह कार्यक्रम हमारी विरासत को सहेजने में आने वाली चुनौतियों से निपटने में एक अच्छा प्रयास साबित होगा। उनका मानना है कि हमें इस दिशा में और प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि इस दिशा में अगले दो दशकों के लिए संभावनाओं पर विचार किया जा सके। इस कार्यक्रम में अनौपचारिक तौर पर बातचीत करते हुए विजारा टेक्नॉलाजीज प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डॉ अनुपम मलिक ने कहा कि आईएचएसई भारत की समृद्ध विरासत को डिजिटल रूप से संरक्षित करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए विश्व स्तर पर आवश्यकता का प्रतीक है। इस आयोजन ने एक ऐसा वातावरण बनाया है जहां डिजिटल और सांस्कृतिक विरासत क्षेत्र में काम करने वाले सभी हितधारक, भारतीय विरासत प्रबंधन के क्षेत्र में प्रमुख पहचान करने के लिए एक साथ आए हैं।
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