nayaindia Union Environment Ministry Saranda Forest humans elephants इंसानों और हाथियों के बीच संघर्ष में 462 लोगों ने गंवायी जान
सर्वजन पेंशन योजना
देश | झारखंड| नया इंडिया| Union Environment Ministry Saranda Forest humans elephants इंसानों और हाथियों के बीच संघर्ष में 462 लोगों ने गंवायी जान

इंसानों और हाथियों के बीच संघर्ष में 462 लोगों ने गंवायी जान

रांची। झारखंड (Jharkhand) में व्यापक निर्माण गतिविधियों के चलते तेजी से घटते पर्यावास के कारण हाथियों (elephants) एवं इंसानों (humans) के बीच संघर्ष की घटनाएं बढ़ गई हैं और एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष में 133 लोगों की जान चली गयी जबकि उसके पिछले साल 84 लोग मारे गए थे।

रांची के तमार इलाके में 22 जनवरी को 65 वर्षीय एक व्यक्ति को हाथी ने कुचल दिया था जबकि दो साल एक बच्चे की भी हाथियों की झुंड ने जान ले ली थी। अधिकारियों के अनुसार अकेले जनवरी में ही राज्य में पांच व्यक्तियों ने हाथियों के हमले में जान गंवायी है। वकील सत्य प्रकाश को आरटीआई आवेदन के जवाब में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय (Union Environment Ministry) की ओर से सूचित किया गया कि 2017 के बाद से पिछले पांच सालों में 462 व्यक्ति इंसानों और हाथियों के बीच संघर्ष की भेंढ़ चढ गये और अकेले पिछले वित्त वर्ष में 133 लोगों की जान चली गयी।

पिछले पांच सालों में पड़ोसी राज्य ओडिशा में 499 लोगों ने, असम में 385 और पश्चिम बंगाल में 358 लोगों ने हाथियों के हमले में जान गंवायी है। वन्यजीव विशेषज्ञों एवं वन अधिकारियों ने कहा है कि सिकुड़ते पर्यावास गलियारे, घटता भोजन आदि इस संघर्ष के कारण हैं। इंडिया स्टेट ऑफ फोरेस्ट रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में वनक्षेत्र 2015 के 23,478 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 2021 में 23,716 वर्ग किलोमीटर हो गया लेकिन उससे इंसान-हाथी संघर्ष नहीं रूका।

भारत सरकार की हाथी परियोजना संचालन समिति के पूर्व सदस्य डी एस श्रीवास्तव ने बताया कि अनियोजित विकास कार्य, खनन गतिविधियों, अनियंत्रित चारागाह, दावानलों और माओवादियों के साथ सुरक्षाबलों की मुठभेड़ों ने वन्यजीव पर्यावास को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि भले ही पिछले एक दशक में राज्य में वन क्षेत्र बढ़ गया हो लेकिन वन्यजीव पर्यावास का क्षरण हुआ है। बांसों और घास के लगातार सिकुड़ने के चलते हाथियों के सामने भोजन की कमी की चुनौती पैदा हो गयी है।

श्रीवास्तव ने कहा कि हाथियों के पारंपारिक आवाजाही मार्ग भी लुप्त हो रहे हैं। झारखंड में सारंदा वन (Saranda Forest) से ओडिशा के सुंदरगढ़ तक का एक उनका मार्ग खनन के चलते नष्ट हो गया। इसी तरह, झारखंड में रामगढ़ से लेकर बंगाल के पुरूलिया तक एक राष्ट्रीय राजमार्ग के चलते हाथियों को कई रूकावटें आयी हैं। ये कुछ ऐसे उदाहरण हैं जिनका हवाला दिया जा सकता है। (भाषा)

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

18 − 9 =

सर्वजन पेंशन योजना
सर्वजन पेंशन योजना
ट्रेंडिंग खबरें arrow
x
न्यूज़ फ़्लैश
‘गर्म’ राहुल के सिपहसालार नाथ- गोविंद क्यों ‘ठंडे’
‘गर्म’ राहुल के सिपहसालार नाथ- गोविंद क्यों ‘ठंडे’