बेंगलुरु | Karnataka High Court Marriage : कर्नाटक हाईकोर्ट ने पति पत्नी के तलाक के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए निकाह और शादी पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की. हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदुओं में विवाह एक संस्कार होता है लेकिन मुसलमानों में शादी संस्कार की तरह नहीं बल्कि एक कॉन्ट्रैक्ट की तरह महत्व रखता है. कोर्ट ने कहा कि यही कारण है कि जब शादी खत्म हो जाती है तो फिर अधिकारों और दायित्वों से पीछे नहीं हटा जा सकता. कोर्ट ने कहा कि निकाह एक अनुबंध की तरह है, जिसके टूट जाने पर पक्षकारों के सभी दायित्व और कर्तव्य पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाते हैं. कोर्ट ने कहा कि ये दायित्व वास्तव में निकाह के समय हुए अनुबंध के आधार पर ही जन्मे होते हैं. कोर्ट ने कहा कि यदि पूर्व पत्नी अपना भरण-पोषण करने में अक्षम हो गई हो तो मुसलमान व्यक्ति को उसे भरण पोषण देना ही चाहिए. इस संबंध में न्यायमूर्ति ने कुरान में सूरत अल बकराह की आयतों का भी हवाला दिया.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा- निकाह एक कॉन्ट्रैक्ट की तरह, हिंदुओं में विवाह एक संस्कार इसलिए...
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