भोपाल। कांग्रेस पार्टी इस समय अपने अधिकतम मुश्किल के दौर से गुजर रही है कभी पूरे देश में एक छत्र राज्य करने वाली पार्टी आज जिन दो - तीन राज्यों में सिमट गई है वहां भी विवाद है। राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो नहीं पा रहा फिर भी कांग्रेस पार्टी भाजपा के लिए चुनौती बनी हुई है और प्रदेश में होने वाले चारउप चुनाव के लिए मुख्यमंत्री, प्रदेशाध्यक्ष, मंत्री, सांसद, विधायक और पार्टी पदाधिकारी चुनाव क्षेत्रों में पसीना बहा रहे बूथ स्तर की बैठ के राष्ट्रीय नेता ले रहे हैं क्योंकि भाजपा हर हाल में इन उपचुनाव को जीतना चाहती है। Madhya Pradesh By Election
दरअसल, चुनाव कोई भी हो और सामने कितना ही कमजोर दल हो या प्रत्याशी आसान नहीं होता और कभी-कभी अप्रत्याशित परिणाम आ जाते हैं क्योंकि फैसला तो आखिर में जनता जनार्दन को ही करना है। अब चुनाव पहले जैसे आसान नहीं रहे। कभी भी कोई भी मुद्दा चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकता है। यहां तक की मतदान के एक दिन पहले किसी घटना से प्रभावित होकर हार - जीत का परिणाम प्रभावित हो जाता है। इन परिस्थितियों में भाजपा जैसा चुनाव के प्रति गंभीर दल जिसने जीत के प्रति आकर्षण कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। वह प्रत्येक चुनाव को पूरी ताकत से लड़ती है और जब कोई चुनाव बीच में हार दे देता है तो फिर इसके बाद होने वाले चुनाव पार्टी के लिए चुनौती बन जाते जैसा कि इस समय दमोह विधानसभा के उपचुनाव में मिली हार के बाद पार्टी जो चौकन्नी है अधिकतम मुश्किल के दौर से गुजर रहे कांग्रेश को भी चुनौती समझ कर चुनावी तैयारियां कर रही है।
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बहरहाल, इस समय देश का जो राजनीतिक परिदृश्य है उसमें नेतृत्व की दृष्टि से देश और राज्य में सरकार होने की दृष्टि से कार्यकर्ताओं की संख्या की दृष्टि से संगठनात्मक संरचना की दृष्टि से भाजपा की बजाय कांग्रेस हर क्षेत्र में कमजोर दिखाई दे रही है। इन परिस्थितियों में कोई भी चुनाव जीतना भाजपा के लिए बाएं हाथ का कमाल होना था लेकिन देश में होने जाने वाले खंडवा लोक सभा रैगांव जोबट पृथ्वीपुर विधानसभा के उपचुनाव भाजपा के लिए चुनौती बने हुए हैं और प्रदेश भाजपा के अधिकांश बड़े नेता इन क्षेत्रों में डेरा डाले हुए हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के ताबड़तोड़ दौरे लगभग दो दर्जन मंत्री, सांसद, विधायक और पार्टी पदाधिकारी इन क्षेत्रों में चप्पे-चप्पे पर तैनात है। यह स्थिति तब है जब ना तो चुनाव की घोषणा हुई है और ना ही कांग्रेस के बड़े नेता इन क्षेत्रों में सक्रिय हुए हैं और ना ही अब तक दोनों दलों के प्रत्याशी घोषित हुए हैं।sss भाजपा की जीत के प्रति इस तरह की चाहत के कारण ही देश में और अधिकांश राज्यों में सरकार है जबकि यदि परिस्थिति होती तब भी कांग्रेस इन चुनाव को इतनी गंभीरता से नहीं लेती।
कुल मिलाकर भले ही कांग्रेश भाजपा के मुकाबले नेतृत्व संगठन मामले में कमजोर नजर आ रही हो लेकिन भाजपा कांग्रेसि को कठिन चुनौती मानकर चुनाव लड़ रही है।
मुश्किल दौर से गुजरती कांग्रेस भी भाजपा के लिए चुनौती
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