सतना। अलग विन्ध्य प्रदेश को लेकर मैहर के भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी द्वारा चलाये जा रहे हमारा विन्ध्य हमें लौटा दो अभियान को लेकर पिछले दिनों विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने सवाल उठाये। उन्होंने अगुवाई कर रहे लोगों के त्याग को लेकर प्रश्न किया। इसके अलावा उन्होंने जनजागरण अभियान के संबंध में यह भी कहा कि उन तक अभी तक कोई भी ज्ञापन नहीं आया। जबकि सच्चाई यह है कि विन्ध्य प्रदेश को लेकर जितना बड़ा त्याग और जनजागरण अभियान नारायण त्रिपाठी ने चलाया उतना किसी अन्य निर्वाचित नेता ने नहीं किया। बेशक अलग विन्ध्य प्रदेश की मांग उठाने और उसका प्रस्ताव विधानसभा तक ले जाने का श्रेय विन्ध्य के सफेद शेर श्रीनिवास तिवारी को जाता है मगर पद में रहकर सत्ता की खिलाफत जिस प्रकार से नारायण ने की शायद ही किसी और नेता ने ऐसा करने का साहस जुटाया हो। bjp mla narayan tripathi
जहां तक जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपने का सवाल था तो शायद विधानसभा अध्यक्ष यह नहीं जानते थे कि उन्हें ज्ञापन देने के लिये लोग इंतजार कर रहे हैं। बीते 21, 22 और 23 सितम्बर को रैगांव विधानसभा क्षेत्र में जनजागरण, नुक्कड़ सभा हुआ और 25 तारीख को जब प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रैगांव प्रवास पर आए तो उन्हें रैगांव से लेकर कोठी तक जगह-जगह अलग विन्ध्य प्रदेश के लिये लोगों ने ज्ञापन सौंपे। इसके अलावा खुद विधानसभा अध्यक्ष को भी अलग विन्ध्य प्रदेश के लिये जिलाध्यक्ष के निर्देशन में ज्ञापन दिया गया। जहां तक सवाल नारायण के त्याग का है तो कई उदाहरण मौजूद हैं। नारायण त्रिपाठी मैहर से विधायक थे। वर्ष 2003 में जब वे पहली बार चुनाव जीतकर नेता बने तब प्रदेश की सत्ता में परिवर्तन हुआ और 2005 में शिवराज सिंह को अचानक मुख्यमंत्री बनाया गया जिसके बाद उनके चुनाव लडऩे को लेकर सीट खाली किये जाने का प्रश्न उठा। नारायण उन दिनों समाजवादी पार्टी में थे ,लेकिन उन्होंने आगे बढ़कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की और मैहर की सीट से चुनाव लडने का आग्रह किया, जबकि समूचे विंध्य से भाजपा के किसी विधायक ने ऐसा प्रस्ताव नहीं दिया । चुनाव भले ही शिवराज सिंह न लड़ें हों लेकिन नारायण त्रिपाठी ने यही सोचकर आग्रह किया था कि मैहर का विकास हो और विन्ध्य क्षेत्र को मुख्यमंत्री देने का गौरव मिल सके।
आंख बंद कर हमारा विन्ध्य हमें लौटा दो अभियान पर उठाये जा रहे सवाल
नारायण त्रिपाठी ने इसके अलावा भी कई बार अपने त्याग और बलिदान का मुजाहिरा प्रस्तुत किया है। उन्होंने इसके अलावा मैहर के विकास के लिये अपनी जीती हुई सीट छोड़ दी थी। 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से चुनाव जीतने के बाद उन्होंने 2014 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की, ताकि केन्द्र में भाजपा की मोदी सरकार बने तो मैहर – सतना समेत विंध्य का समग्र विकास हो सके । उनके प्रयासों से भाजपा एक बार फिर सतना लोकसभा सीट जीतने में कामयाब रही,जबकि नारायण त्रिपाठी भाजपा की सदस्यता न लेते तो कांग्रेस प्रत्याशी की जीत 1 लाख से अधिक वोटों से जीत सुनिश्चित था ,इस बात को मुख्यमंत्री एवं तत्कालीन प्रदेश संगठन महामंत्री अरविंद मेनन के प्रयासों के कारण नारायण त्रिपाठी भाजपा में आये थे पर श्री त्रिपाठी ने उस दौरान कहा था कि मैहर का विकास सर्वोपरि रहेगा,इसके बाद जिले और विंध्य का विकास चाहिए उस समय उक्त दोनों नेताओं ने आश्वस्त किया था कि विकास सुनिश्चित है कोई भी नेता होगा वो पहले अपने क्षेत्र फिर जिला फिर संभाग का विकास चाहेगा ।
विधायक त्रिपाठी अपने क्षेत्र के विकास के लिए हर तरह की कुर्बानी देने को तैयार रहते है ।जबकि एक वरिष्ठ पूर्व विधायक कई जगह यह कहते सुने गये कि जिस तरह की क्षेत्र के विकास के सवाल पर रिस्क लेते हैं,विंध्य ही नहीं पूरे मध्यप्रदेश के विधायक इस तरह के रीस्क नहीं ले सकते । वे यह करते भी सुने गए दल बदलने पर क्षेत्र की जनता नाराज होती है पर मैहर की जनता ने समाजवादी पार्टी से विधायक बनाया,उसके बाद एक बार कांग्रेस और 2 बार भाजपा से विधायक बनाया ।तो निश्चित तौर पर मैहर क्षेत्र की जनता इस बात को जानती है,इसलिए मैहर की जनता जानती है कि नारायण जो भी फैसला लेते हैं ,वह अपने लिए नहीं जनता के हित को लिए फैसला लेते हैं । जिस दौर में लोग सरपंच का पद छोडने को तैयार नहीं थे उस दौरान नारायण ने विधायक जैसी सीट ठुकरा दी हालांकि बाद में वे उपचुनाव लड़े और भारी मतों से जीत भी हासिल करने में कामयाब हुए।
सीएम कर चुके हैं त्याग का जिक्र
नारायण के त्याग को लेकर विधानसभा अध्यक्ष का भले ही अलग सोचना हो मगर मैहर उपचुनाव के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं नारायण के त्याग को लेकर कसीदे पढ़ चुके हैं। उन दिनों हुई तमाम सभाओं में नारायण त्रिपाठी के द्वारा दिये गये प्रस्ताव का जिक्र करते हुये सीएम शिवराज ने सराहना की थी। शिवराज सिंह चौहान अक्सर उनके त्याग और बलिदान को लेकर सभाओं में पक्ष रख चुके हैं। भले ही यह बात विधानसभा अध्यक्ष को पता न हो मगर सच्चाई यही है।
हमेशा कुर्बानी देने को तैयार
विन्ध्य प्रदेश के पुनरोदय की मांग कर रहे नारायण त्रिपाठी हर समय कुर्बानी देने को तैयार दिखाई देते हैं। भाजपा में रहकर वे अलग विन्ध्य प्रदेश की मांग मुक्तकंठ से कर रहे हैं। जबकि तमाम नेताओं के मुंह में दही जमा हुआ है। संभवत: विधानसभा अध्यक्ष एवं अन्य लोगों को यह मालूम होगा कि जब अलग विन्ध्य प्रदेश का अभियान शुरु हुआ था तो श्रीनिवास तिवारी ने विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर तत्कालीन केन्द्र सरकार को भेजा था। फिर सोनिया और कांग्रेस संगठन के दबाव में यह आंदोलन शांत पड़ गया था। दस साल तक मनमोहन सरकार रही मगर तब भी कांग्रेस के लोगों ने इस मुद्दे को छुआ तक नहीं। यदि चाहते तो प्रयास कर अलग विन्ध्य प्रदेश की मांग कर सकते थे। मगर नारायण त्रिपाठी भाजपा के विधायक होते हुए भी लगातार अपनी मांग उठा रहे हैं। इसके अलावा वे हमेशा यह बात कहते हैं कि यदि पार्टी को इस्तीफा चाहिए तो मैं वह भी देने को तैयार हूं। पार्टी से ही नहीं विधायक पद से भी इस्तीफा दे सकता हूं बशर्ते विन्ध्य प्रदेश बनाया जाये।
जनता जागी, जननायक कब जागेंगे
अलग विन्ध्य प्रदेश के लिये पार्टी गाइड लाइन और अपने पद की लालसा छोड़़कर नारायण त्रिपाठी जनजागरण कर रहे हैं। पिछले दिनों रैगांव क्षेत्र में हुई सभाएं इस बात को प्रमाणित करती हैं। कुछ महीनों के अन्दर अलग विन्ध्य प्रदेश की मांग को अभियान बना देने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वे नारायण हैं। जिस प्रकार से वे प्रयासरत हैं और उन्होंने जनता में उत्साह भरा है उसी प्रकार यदि हमारे जननायक जनप्रतिनिधि कोशिश करते तो विन्ध्य प्रदेश का सपना पूरा हो जाता। बघेलखंड एवं बुन्देलखंड के विधायक, सांसद, जिला पंचायत और जनपद पंचायत के प्रतिनिधि, नगरीय निकाय के जनप्रतिनिधि यदि नारायण की तरह ही प्रयास करते तो अलग विंध्य प्रदेश अब तक बन चुका होता ।
– यदुवंशी ननकू यादव