
भोपाल। देश का हृदय कहा जाने वाला मध्यप्रदेश देश के प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए मदद करने में भी आगे है। चाहे रैली या प्रदर्शन हो या फिर देश के अन्य राज्यों में चुनाव मध्यप्रदेश के कार्यकर्ता और नेता प्रभावी भूमिका में होते हैं।
दरअसल, देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर चल रही है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमाएं 10 जिलों में स्पर्श करती हैं। उससे भी बढ़कर मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में रिश्तेदारी आना – जाना लगा रहता है। जिसके कारण एक-दूसरे के राजनैतिक वातावरण का प्रभाव पड़ता है।
मसलन जब-जब उत्तर प्रदेश में जिस भी दल की सरकार होती है उस दल की उपस्थिति मध्यप्रदेश में भी दिखाई देती है। जब उत्तरप्रदेश में बसपा थी उत्तर प्रदेश में बसपा मजबूत हो रही थी और जैसे ही उत्तर प्रदेश में बसपा कमजोर पड़ी प्रदेश में भी सिमटने लगी है। इसी तरह जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के विधायक आधा दर्जन से भी ज्यादा जीत कर आए थे लेकिन अब यहां भी उत्तरप्रदेश की तरह सपा सिमट गई है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की मजबूती के लिए मध्यप्रदेश में पार्टी की गतिविधियां तेज हो गई है। चुनिंदा कार्यकर्ता और नेताओं की सूची बनाई जा रही है, जो उत्तर प्रदेश फतह करने भेजे जाएंगे। इसके अलावा केन – बेतवा परियोजना की स्वीकृति भी मध्यप्रदेश से पहले उत्तरप्रदेश में चुनावी वातावरण खासकर बुंदेलखंड इलाके में बनाने के लिए मदद करेगा।
संघ भी सक्रिय हो गया है और 13 से 15 दिसंबर तक चित्रकूट में हिंदू महा संगम शुरू हो रहा है। जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषता प्राप्त हिंदू चेहरों को आमंत्रित किया गया है। राजनीति समाज सेवा फिल्म उद्योग व्यापार या कि किसी भी क्षेत्र के नामी-गिरामी चेहरे चित्रकूट में दिखाई देंगे। मध्य प्रदेश के हिस्से वाले चित्रकूट में हो रहे इस आयोजन से उत्तर प्रदेश के चुनाव के लिए वातावरण बनाया जाएगा। इसके अलावा प्रदेश में उत्तर प्रदेश से सटे जिलों में पार्टी की गतिविधियां अलग-अलग तरीकों से सक्रिय की जा रही है।
ऐसा नहीं है कि केवल सत्तारूढ़ दल भाजपा ही मध्यप्रदेश से मदद ले रही हो विपक्षी दल कांग्रेस भी मध्य प्रदेश के नेताओं की कार्यकर्ताओं की समय-समय पर मदद लेती आ रही है। रविवार को जयपुर में महंगाई विरोधी रैली में मध्यप्रदेश की नेता और कार्यकर्ताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ इस रैली में महत्वपूर्ण भूमिका में रहे। इसके पहले भी राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक मसलों को सुलझाने के लिए कमलनाथ दिल्ली बुलाए जाते रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को सलाह – मशवरा देने का काम करते रहे हैं। 2018 में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनवाने में मध्यप्रदेश एक कांग्रेस के नेताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। तब पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ-साथ दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी एकता के सूत्र में बंधे हुए थे लेकिन वर्तमान में पार्टी का सारा दारोमदार कमलनाथ के कंधों पर है जो कि भोपाल और दिल्ली के बीच सेतु का काम भी कर रहे है
कुल मिलाकर देश की राजनीति में मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका भाजपा और कांग्रेस में प्रभावी रूप से है अब जबकि देश का राजनीतिक वातावरण तय करने वाले उत्तर प्रदेश के विधानसभा के चुनाव करीब आ गए हैं तब मध्य प्रदेश के भाजपा और कांग्रेस के नेताओं की सूची बन रही है जोकि उत्तर प्रदेश में अपने अपने दल के लिए काम करेंगे पिछले विधानसभा चुनाव में भी दोनों ही दलों से नेता और कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश गए थे भाजपा जहां लगभग 15 जिलों के 60 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में मध्य प्रदेश के नेताओं की प्रभावी भूमिका तय करता है वही इस बार कांग्रेश भी प्रदेश के नेताओं की संख्या उत्तर प्रदेश चुनाव में बढाने जा रही है यह तो वक्त ही बताएगा की इस दल को मध्य प्रदेश से कितनी मदद मिली फिलहाल मध्य प्रदेश राजनीतिक सक्रियता का केंद्र बना हुआ है जिससे उत्तर प्रदेश साधा जा सके।