कायदे से बृहन्नमुंबई महानगर निगम यानी बीएमसी के चुनाव की घोषणा हो जानी चाहिए थी। पहले कहा जा रहा था कि सितंबर या अक्टूबर में चुनाव होंगे। शिव सेना के टूटने के बाद एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में 30 जून को नई सरकार बन गई थी। शिंदे गुट और भाजपा की साझा सरकार बने तीन महीने होने जा रहे हैं लेकिन अभी तक बीएमसी चुनाव की सुगबुगाहट नहीं सुनाई दे रही है। तभी पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सीधे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चुनौती दी और कहा कि अगर हिम्मत है तो एक महीने में बीएमसी का चुनाव करा कर दिखाएं। लेकिन ऐसा लग रहा है कि बीएमसी के चुनाव में अभी और देरी होगी।
असल में भारतीय जनता पार्टी को अभी एकनाथ शिंदे गुट की राजनीतिक हैसियत को लेकर भरोसा नहीं बन रहा है। भाजपा को लग रहा है कि अभी चुनाव हुए तो उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिव सेना बड़ी ताकत बन सकती है। शिंदे गुट अभी पिछड़ सकता है क्योंकि शिव सेना में टूट का मामला नया नया है और लोग इसे महसूस कर रहे हैं। अगर थोड़ा समय दिया जाए तो शिंदे गुट अपनी पकड़ मजबूत कर सकता है। एकनाथ शिंदे बतौर मुख्यमंत्री कुछ काम करके पुराने शिव सैनिकों और बाल ठाकरे के समर्थकों को अपने साथ जोड़ सकते हैं। समय बीतने से लोग शिव सेना की टूट को भूलेंगे भी। तभी ऐसा लग रहा है कि बीएमसी का चुनाव अभी तुरंत नहीं होगा। दिवाली के बाद हो सकता है कि चुनाव की घोषणा हो यानी नवंबर, दिसंबर से पहले चुनाव की संभावना नहीं है।
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