महाराष्ट्र में चल रहा सियासी नाटक लंबा खींच रहा है और इसके साथ ही इस घटनाक्रम को लेकर साजिश थ्योरीज की संख्या भी बढ़ती जा रही है। एक साजिश थ्योरी वह है, जो सबको दिख रही है और जिसके पीछे भाजपा का हाथ दिख रहा है और बताया भी जा रहा है। भाजपा के नेता भले इनकार करें कि इस मामले से उनका कोई लेना-देना नहीं है लेकिन इस पर किसी को यकीन नहीं है। शिव सेना के विधायकों ने बगावत की और सूरत गए फिर सूरत से उनको गुवाहाटी ले जाया गया, जहां होटल के बाहर अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम किए गए। बाद में बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे ने इशारो में कहा भी कि महाशक्ति उनके पीछे है। अब महाशक्ति से उनका मतलब अमेरिका से तो नहीं ही रहा होगा!
दूसरी साजिश थ्योरी वह है, जिसका प्रचार संघ और भाजपा से जुड़े कुछ बौद्धिक और न्यूज चैनलों के प्रतिबद्ध एंकर कर रहे हैं। उनका कहना है कि पूरी साजिश के पीछे शरद पवार का हाथ है। तभी जब शुरुआती दिनों में अजित पवार कहीं नजर नहीं आए तो इस थ्योरी की पुष्टि होने लगी। हालांकि बाद में पवार चाचा-भतीजे ने उद्धव ठाकरे से एकजुटता दिखाई। फिर भी यह थ्योरी समाप्त नहीं हो रही है। इसके मुताबिक शरद पवार का गेम प्लान है महाराष्ट्र में अपनी पार्टी एनसीपी को नंबर दो पार्टी बनाने है। इसके लिए जरूरी है कि शिव सेना और कांग्रेस खत्म हों। सो, उन्होंने रणनीति के तहत किसी शिव सैनिक की बजाय उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनवाया और हिंदुत्व के रास्ते से भटकाया।
पता नहीं पवार ने इतने दूर की सोची थी या नहीं पर उनकी कथित साजिश थ्योरी का प्रचार कर रहे प्रतिबद्ध एंकरों का कहना है कि पवार अपने खेल में कामयाब हो गए। शिव सेना खत्म होने की कगार पर पहुंच गई है। इसके बाद जैसे ही महाविकास अघाड़ी की सरकार गिरेगी और भाजपा की सरकार बनेगी वैसे ही कांग्रेस में भगदड़ मचेगी। उसके बाद कुछ नेता भाजपा में जाएंगे और आधी कांग्रेस एनसीपी के साथ चली जाएगी। कुछ समय पहले देश के सबसे मशहूर चुनाव रणनीतिकार ने भी एक अनौपचारिक बातचीत में इस संभावना का जिक्र किया था। बहरहाल, ठाकरे परिवार वाली शिव सेना खत्म हो जाए और कांग्रेस टूट जाए तो पवार की पार्टी अपने आप नंबर दो हो जाएगी।
तीसरी साजिश थ्योरी के प्रचारक ऐसे चैंपियन सेकुलर लोग हैं, जो शिव सेना के एनसीपी और कांग्रेस के साथ होने के बावजूद उसको संदेह की नजर से देखते थे। उनका कहना है कि पूरी साजिश शिव सेना की है ताकि गठबंधन तोड़ कर भाजपा के साथ जाया जा सके। इस थ्योरी के प्रचारकों का कहना है कि इतना बड़ा घटनाक्रम हो गया फिर भी हुड़दंग के लिए माहिर शिव सैनिक चुपचाप बैठे रहे! अगर यह सचमुच का घटनाक्रम होता तो शिव सैनिकों ने मुंबई में तांडव किया होता। जब संजय राउत और दूसरे नेताओं की ओर से कहा गया कि शिव सेना गठबंधन तोड़ने के लिए तैयार है, पहले बागी विधायक वापस लौटें, तो इस थ्योरी के प्रतिपादकों ने अपनी पीठ थपथपाते हुए कहा कि यह शिव सेना और भाजपा की मिलीभगत का सबूत है। बहरहाल, अगर घटनाक्रम थोड़े समय और चलेगा तो कुछ और साजिश थ्योरी सामने आएगी।
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