महाराष्ट्र में केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई बेलगाम हो गई है। पश्चिम बंगाल के बाद केंद्रीय एजेंसियां संभवतः सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में सक्रिय हैं। एक के बाद एक ऐसे लोगों पर कार्रवाई हो रही है, जो भाजपा के विरोधी हैं या महाविकास अघाड़ी सरकार के समर्थक हैं। कई मंत्री, अधिकारी, नेता और सामाजिक कार्यकर्ता जेल में हैं। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के खिलाफ मुकदमा करने वाले नागपुर के वकील के यहां भी ईडी की कार्रवाई हुई है और उनको जेल में डाल दिया गया है। इसके उलट भाजपा नेताओं और उसके समर्थकों के यहां राज्य सरकार की ओर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो रही है। शिव सेना के चाहने के बावजूद भाजपा के किसी नेता के यहां कार्रवाई नहीं हुई। इसका कारण यह है कि एनसीपी का रुख भाजपा के प्रति नरम है और एनसीपी के दिलीप वलसे पाटिल राज्य के गृह मंत्री हैं।
भाजपा पर एनसीपी इतनी ज्यादा नरम है कि खुद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को इस बारे में बयान देना पड़ा। ठाकरे के बयान के बाद दिलीप वलसे पाटिल उनसे मिलने गए और कहा गया कि दोनों में कोई नाराजगी नहीं है। इसके बाद शिव सेना सांसद संजय राउत ने खुल कर कहा है कि गृह विभाग भाजपा के उन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करे, जिनकी शिकायत मिली है। ध्यान रहे जांच करने वाली सारी एजेंसियां गृह विभाग में हैं और वह एनसीपी के पास है। शिव सेना के पास ले-देकर बृहन्न मुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी है, जिसकी ओर से भाजपा नेताओं को नोटिस जारी होते रहते हैं। लेकिन उसकी कार्रवाई की एक सीमा है। वह सिर्फ अवैध निर्माण के मामले में नोटिस जारी करता है। नारायण राणे को इसी सिलसिले में नोटिस जारी हुआ है। इतने भर से बीएमसी कमिश्नर के यहां भी केंद्रीय एजेंसियों की जांच शुरू हो गई है। बहरहाल, अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री के कहने के बावजूद एनसीपी के मंत्री किसी भाजपा नेता के खिलाफ कार्रवाई करते हैं या नहीं!