महाराष्ट्र में शिव सेना को राज्यसभा चुनाव में अपने दूसरे उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए बड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। एक तरफ केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई है, जिससे छोटी छोटी पार्टियों के नेता घबराए हुए हैं तो दूसरी ओर सहयोगी पार्टियों के मुस्लिम विधायकों की चिंता है। शिव सेना ने भाजपा का साथ छोड़ कर महा विकास अघाड़ी बनाई तो उसमें एनसीपी, कांग्रेस, सपा जैसी कई पार्टियों ने उसका साथ दिया। लेकिन यह मजबूरी में दिया गया समर्थन है। इन पार्टियों के मुस्लिम नेता दिल से शिव सेना का साथ नहीं दे सकते हैं। आखिरी शिव सेना के नेता अब भी खुल कर दावा करते हैं कि उन्होंने बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया था। भाजपा की सरकार बनने से रोकने के लिए शिव सेना के समर्थन तक तो ठीक है लेकिन शिव सेना के उम्मीदवार को वोट देना उनके लिए मुश्किल लग रहा है।
खबर है कि समाजवादी पार्टी के दोनों विधायकों ने शिव सेना के उम्मीदवार को वोट देने की बजाय गैरहाजिर रहने का विकल्प चुना है। ध्यान रहे सपा से अबू आजमी और रईस शेख दो विधायक हैं। शिव सेना के लिए इनका समर्थन बहुत अहम है। शिव सेना की दूसरी चिंता यह है कि अगर इन दो विधायकों से प्रेरणा लेकर कांग्रेस और एनसीपी के मुस्लिम विधायकों ने भी वोट नहीं करने का फैसला किया तो बड़ी दिक्कत हो जाएगी। तभी सवाल है कि क्या एनसीपी और कांग्रेस अपने विधायकों को वोट आवंटित करते समय मुस्लिम विधायकों के वोट अपने उम्मीदवार के लिए आवंटित करेंगे और शिव सेना के लिए जो वोट छोड़ेंगे वह सब हिंदू विधायकों का होगा? यह भी सवाल है कि जरूरत पड़ने पर ओवैसी की पार्टी के दोनों विधायक क्या करेंगे? क्या वे भाजपा का साथ दे सकते हैं?