Chandigarh: पंजाब और हरियाणा (Punjab and Haryana) के हाईकोर्ट (High Court) में जजों की कमी के कारण कई केस विचाराधीन हैं. जानकारी के अनुसार दोनों स्थानों के जजों में 38 पद अभी भी रिक्त पड़े हैं यहीं कारण है कि लंबित केसों की संख्या 600000 के आसपास पहुंच चुकी है. हालातों को देखते हुए गैर सरकारी संगठन ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है जिसमें जजों की नियुक्ति करने की मांग की गई है. दायर की गई याचिका में संगठन की ओर से कहा गया है कि यदि संभव हो तो मुस्लिम कम्युनिटी के वकीलों को भी जजों के चयन में प्राथमिकता दी जाए. इसके पीछे संगठन का कहना है कि 1956 से आज तक किसी भी मुस्लिम कम्युनिटी से किसी जज को नामित नहीं किया गया है.
लगातार बढ़ रही है लंबित मामलों की संख्या
कोर्ट में दायर की गई याचिका में बताया गया है जजों की कमी के कारण लंबित मामलों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. याचिका के अनुसार जनवरी 2021 में 643223 लंबित मामले थे. जबकि जनवरी 2020 में यह संख्या 541520 के करीब थी बताया जा रही है. 2021 में यह संख्या 650000 के करीब पहुंच चुकी है . संगठन ने कहा है कि ऐसे में लोगों का विश्वास कोर्ट और कानून व्यवस्था पर कम होगा. इसीलिए संगठन द्वारा एक जनहित याचिका जारी कर जजों की नियुक्ति की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि जजों की कुछ रिक्तियां मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय से हो जिससे कि समुदाय को भी कुछ प्रतिनिधित्व मिल सके. इसे भी पढ़ें- दिल्ली को मिली राहत, छतरपुर में आज से 500 बेड वाला राधा स्वामी कोविड केयर सेंटर शुरू.. सीएम केजरीवाल ने मंत्रियों संग किया जायजाप्रधानमंत्री को भी भेजा गया था मांग पत्र
संगठन की ओर से दर्ज की गई याचिका में बताया गया है कि उक्त मामले को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी एक मांग पत्र भेजा गया था. उसमें भी मुस्लिम समुदाय के लोगों को जज बनाने की मांग की गई थी. संगठन का कहना है कि मुस्लिम सदस्य को जज भले ही किसी भी कोर्ट से बनाया जाए लेकिन उन्हें हाईकोर्ट में नियुक्तियां दी जानी चाहिए. इस याचिका में भारत के कानून और न्याय मंत्रालय, पंजाब व हरियाणा के गृह सचिव , न्याय विभाग के सचिव पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट को प्रतिवादी बनाया गया है. इसे भी पढ़ें- Oscars 2021 : फिल्म नोमैडलैंड ने ऑस्कर 2021 में मारी बाजी, जीते ये अवाॅर्ड, Watch Winners List
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