चंडीगढ़। कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा (Kumari Selja) ने कहा है कि किसानों को इस बार मौसम की दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है। पहले उनकी फसल खेतों में बारिश से प्रभावित हुई और अब मंडियों में बारिश की भेंट चढ़ रही है। उन्होंने मंगलवार को यहां कहा कि पिछले 72 घंटे के अंदर पोर्टल पर नुकसान की जानकारी भले ही दे दी लेकिन इसकी पड़ताल के लिए सात दिन की बजाय 10 दिन का समय बीतने पर भी दावों की जांच नहीं हो पाई है। इससे भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार का किसान विरोधी चेहरा फिर उजागर हो गया है। पटवारियों द्वारा जांच पूरी न किए जाने से सरकार भी मुआवजे का ऐलान करने से बच रही है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश के 87 हजार किसानों ने उनकी 3.28 लाख एकड़ में फसल बर्बाद होने की जानकारी पोर्टल पर दी थी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बारिश किस तरह से फसलों के लिए कहर बनी। लगातार चली बारिश से नुकसान तो प्रदेश के हर हिस्से में खड़ी फसल में हुआ, लेकिन ज्यादा नुकसान फतेहाबाद, रेवाड़ी, अंबाला, कैथल, हिसार, चरखीदादरी, कुरुक्षेत्र, करनाल और यमुनानगर जिले को हुआ।
कुमारी सैलजा ने कहा कि पटवारियों को जांच के लिए एक सप्ताह का समय देना भी गलत था। यह समय सिर्फ 48 घंटे का होना चाहिए था। पटवारियों की मदद के लिए गांवों के चौकीदार और नंबरदार लगाए जा सकते थे। इससे तुरंत ही सारी रिपोर्ट तैयार हो जाती और फिर इसके अगले 24 घंटे के अंदर किसानों के खाते में मुआवजा राशि को डाला जा सकता था। उन्होंने कहा कि अभी तक प्रदेश सरकार ने मुआवजा निर्धारित भी नहीं किया है। इससे साफ है कि सरकार की मंशा किसानों को परेशान करने की है। जब तक पटवारी नुकसान की रिपोर्ट तैयार करें, तब तक मुआवजा राशि का निर्धारण कर लिया जाना चाहिए। इससे फसल बर्बाद होने से परेशान किसानों के जख्मों पर मरहम लगाया जा सकेगा। (वार्ता)