शिमला। हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में 75 प्रतिशत से अधिक सरकारी कॉलेज (colleges) में नियमित प्रधानाध्यापक नहीं है। प्रदेश कॉलेज शिक्षक संघ के महासचिव आर एल शर्मा ने यह जानकारी दी है।
शर्मा ने कहा कि राज्य में 156 सरकारी कॉलेज में से 119 में नियमित प्रधानाचार्य के पद रिक्त हैं जबकि 75 कॉलेज की अपनी खुद की इमारत नहीं है। उन्होंने कहा कि शिमला में उच्चतर शिक्षा निदेशालय (Higher Education Directorate) में विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) के तौर पर नामित प्रधानाध्यापकों के दो पद भी खाली पड़े हैं।
जब उच्चतर शिक्षा निदेशक अमरजीत शर्मा से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि प्रधानाध्यापकों के 25 पदों पर नियुक्तियां हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा की जाएगी। उन्होंने कहा, हमें मालूम है कि ज्यादातर कॉलेज में नियमित प्रधानाध्यापक नहीं हैं। विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) के लिए सभी दस्तावेज तैयार हैं लेकिन अदालत में एक मामला लंबित है और हम डीपीसी के साथ मिलकर प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए अदालत के आदेशों का इंतजार कर रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्ववर्ती सरकार की आलोचना करते हुए शर्मा ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, संकाय सदस्यों की आवश्यकता और बुनियादी ढांचे की सुविधाओं के मूल मुद्दों पर विचार किए बिना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के बारे में बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत बहुआयामी शिक्षा प्रणाली लागू करने के लिए महाविद्यालयों में कम से कम 3,000 और शिक्षकों की आवश्यकता होगी।
कॉलेज शिक्षकों ने कहा कि राज्य में मार्च 2022 तक 132 कॉलेज थे और सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) बढ़ाने के मकसद से पिछले आठ महीने में 24 नए कॉलेज खोले गए। जीईआर राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मुख्य विशेषताओं में से एक है और इसे 2035 तक 26.3 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य है। करीब 75 प्रतिशत प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति पदोन्नति के जरिए तथा 25 प्रतिशत की सीधी भर्ती की जाती है। शर्मा ने कहा, हमने मौजूदा स्थिति के बारे में नए मुख्यमंत्री को अवगत करा दिया है।
हाल में पदभार संभालने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने संस्थानों के निर्माण तथा उनके आधुनिकीकरण के लिए अधिसूचनाओं को वापस लेने का आदेश जारी किया है। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थान बजटीय प्रावधान किए बिना खोले गए।