पंजाब विधानसभा चुनावों से भले लोग यह कहते हों कि पंजाब का रास्ता दिल्ली से नहीं निकलता पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐसा कर दिखाया और इस हद तक कि मुख्यमंत्री भगवंत मान मेहमान बन कर गए। और सुपर मुख्यमंत्री हो लिए गुरू -शिष्य ,यानी केजरीवाल और राघव। और तभी यह कहा जाता है कि दो और दो भले चार होते होंगे पर राजनीति में दो और दो पाँच भी हो जांए तो हैरानी भी कैसी? चुनाव से पहले पंजाब में सीएम चेहरे को लेकर पार्टी में मशक़्क़त चलती रही । भले कोई यह कहे कि इस चेहरे को लेकर कई बार केजरीवाल का चेहरा भी समझा गया पर अधूरे राज्य का मुख्यमंत्री पूरे राज्य का मुख्यमंत्री कैसे होगा या फिर अपने जूनियर को पूरा राज्य देकर अपने से ज़्यादा ताकतवर कैसे बना दिया जाएगाI
फिर सिख बाहुल्य राज्य में ग़ैर सिख को कैसे मान्यता मिल पाएगी जैसे न जाने कितने सवालों ने दिल्ली के इस चेहरे को बेनक़ाब तो नहीं किया अलबत्ता न बनने का माहौल ज़रूर तैयार कर दिया। और आख़िरकार गुरू गुड़ और चेले को शक्कर रह जाना पड़ा।या यूँ मानिए कि दिल्ली के इस चेहरे को मन मार कर रह जाना पड़ा। और भगवंत सिंह मान को पंजाब का चेहरा बना दिया गया। तभी पंजाब को लेकर जो क़यास राजनीति में लगाए जा रहे थे कि भगवान मान को कठपुतली की तरह काम करना होगा,वही होना शुरू हो गया पंजाब की सियासत में।
Read also प्रशांत किशोर का तिनका और कांग्रेस
तभी जब पंजाब से राज्यसभा की सूची में दिल्ली के राजेंद्र नगर से विधायक राघव चड्डा का नाम जोड़ा गया तो मान का कठपुतली बनने की बात सभी को दिखने लगी और राघव चड्डा को सुपर मुख्यमंत्री कहने में पब्लिक ने भी देर नहीं की, पर नहीं। बिना मुख्यमंत्री और बिना सुपर मुख्यमंत्री के बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर अरविंद केजरीवाल ने दिखा दिया कि पंजाब का असली मालिक मान नहीं बल्कि केजरीवाल हैं। साथ ही यह भी कि पंजाब का रास्ता वाया दिल्ली भी होता है। यानी दो और दो चार ही नहीं पाँच भी होते हैं।