भगवंत सिंह मान को मुख्यमंत्री बने भले जुम्मे-जुम्मे चार दिन हुए हों पर उनको लेकर क़यास दिल्ली के सिख लगाने लगे हैं। किसी को वे घुमंतू मुख्यमंत्री दिख रहे हैं तो किसी को केजरीवाल के चुनावी सफ़र के हमजोली और किसी को सिर्फ़ दस्तख़ती मुख्यमंत्री। पंजाब प्रवासी और दिल्ली निवासी न जाने कितने सिख नेता कहते हैं कि केजरीवाल ने मान को पंजाब का मुख्यमंत्री तो बना दिया पर असली मुखिया तो दिल्ली के राजेंद्र नगर के विधायक रहे और अब राज्यसभा सदस्य राघव चड्डा ही रहेंगे।यानी संसद सत्र के दौरान वे राज्यसभा में पार्टी के मुद्दे रखेंगे और बाक़ी समय में वे पंजाब में मान काम की निगरानी। और साथ- साथ दिल्ली में बैठे केजरीवाल को पंजाब की जानकारी या यूँ मानिए कि पंजाब की सरकार दिल्ली से चलाने की कोशिश होगी। Mann or Raghav Punjab
दिल्ली के अकाली मानते हैं कि पिछले विधानसभा चुनावों में चूँकि मान समर्थक ही आप पार्टी से जीते थे और इस बार भी चुनावों को लेकर जब तक मान का नाम तय नहीं हुआ था तब तक मान समर्थक 10 विधायक पार्टी छोड़ पतली गली से निकल लिए थे। जिसके चलते केजरीवाल की चिंता बढ़ी और जब उन्हें यह महसूस होने लगा कि मान समर्थक ये विधायक कांग्रेस में शामिल हो सकते और साथ ही बाक़ी 10 विधायक भी पार्टी से अलग होकर कांग्रेस की चन्नी सरकार की वापिसी करा सकते हैं तो केजरीवाल ने सीएम चेहरे को लेकर रायशुमारी करा मान सीएम चेहरा बना दिया। यह अलग बात है कि चन्नी की सरकार गिराने में अकालियों ने भी बसपा के सहयोग से मदद की । दलित वोट बँटा और इसका लाभ आप पार्टी को और तब मान पंजाब के असली सरदार बना दिए गए। हालाँकि इसे केजरीवाल की मजबूरी ही मानी जा रही है।
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दिल्ली के अकाली तो यह कहने में भी गुरेज़ नहीं रखते ही मान पंजाब के सीएम भले बने हैं लेकिन सिक्का केजरीवाल के इशारे पर राघव चड्डा का ही चलना है। और तभी आजकल मान केजरीवाल के चुनावी सफ़र के हमजोली बने घूमते दिख रहे हैं और केजरीवाल भी 2024 के चुनावों की रिहर्सल कर पार्टी का जनाधार बढ़ाने में लगे हैं। यूँ भी मान सरकार के ज्दातर विधायक पहलीबार जीते हैं और मंत्रियों के पास सरकार चलाने का अनुभव भी नहीं है साथ ही जो चुनावी वायदे किए गए उन्हें पूरा करने की चुनौती भी है सो पिछले दरवाज़े से राघव के ज़रिए केजरीवाल सरकार को चलाते रहेंगे। अब ऐसे हालातों अगर यह कहा जाना लगे कि मान पंजाब के मुख्यमंत्री भले हैं पर मुखिया तो राघव ही रहेंगे तो इसमें ग़लत भी कैसा। पर अगर जो भगवंत सिंह मान संसद में मर्यादा भूल मान भी खो बैठे हों मुख्यमंत्री बनने के बाद कुछ तो मान मिल गया है।