भारतीय मंदिरो की बात हो और रहस्यों की बात ना हो ऐसा हो ही नहीं सकते है। भारतीय मंदिर और रहस्य का पुराना रिश्ता है। भारतीय मंदिर और रहस्य का रिश्ता ठीक उसी तरह जुडा है जैसे परिवार में मां बाप और बेटे का होता है। भारत में ऐसे तो अनेकों मंदिर है और इन मंदिर में अनेकों राज दफ्न है। कुछ रहस्य ऐसे जिनका आज तक पर्दाफाश नहीं हुआ है। आज हम बात करेंगे राजस्थान के एक ऐसे मंदिर की जो एक इंसान को पत्थर बना देती है। राजस्थान की रेतीली धरती में कई राज दफन है। कई रहस्य ऐसे है जिनको सुनकर पसीने छूट जाते है। कुलधरा गांव और भानगढ़ का किला इनमें से एक है। लेकिन आज हम बात करेंगे बाड़मेर में स्थित किराडू का मंदिर । इस मंदिर को खजुराहा के मंदिर नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर प्रेमियों को बड़ा आकर्षित करते है।
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तपस्वी के श्राप से लोग पत्थर बन गये
इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि यहां शाम ढ़लने के बाद जो भी रह जाता है वह या तो पत्थर बन जाता है या फिर रहस्यमयी और अज्ञात कारणों से मौत की नींद सो जाता है। किराड़ू के विषय में यह मान्यता सदियों से चली आ रही है। पत्थर बन जाने के डर से यहां शाम होते ही पुरा इलाका विरान हो जाता है। लेकिन यहां दिन का माहौल बड़ा ही शांत है। यहां आपको दिन में कई सारे प्रेमी जोड़े मिलेंगे। प्रेम जोड़ों को यह जगह बड़ी ही पसंद आती है। इन सब के अलावा यह भगवान शिव का सुप्रसिद्ध मंदिर भी है जहां प्रेम संबंधी मनेकामनाएं पूरी होती है। इस मान्यता के पीछे एक अजीब कहानि है जिसकी गवाह है एक बूढ़ी औरत की पत्थर की मुर्ति जो किराड़ू से कुछ दूर सेहणी गांव में स्थित है। कहानि के अनुसार वर्षो पहले किराड़ू में एक तपस्वी पधारे थे। तपस्वी के साथ शिष्यों की एक टोली थी जो उनके साथ ही घूमती थी। तपस्वी एक दिन शिष्यों को गांव में छोड़कर देशागमन के लिए निकल पड़े। इस बीच शिष्यों का स्वास्थ्य खराब हो गया। और उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गयी। शिष्यों ने गांव वालों से मदद मांगी लेकिन किसी भी गांव वालों ने उनकी मदद नहीं की। तपस्वी जब किराड़ू लौटे और अपनी शिष्यों की हालत देखकर तपस्वी अत्यंत क्रोधित हो गये। उसी क्रोध के आवेश में आकर तपस्वी ने गांव वालों को श्राप दे दिया। जहां के लोगों के ह्दय पाषाण के है वे इंसान बने रहने के लायक नहीं है। इसलिए इस गांव के सभी लोग पत्थर में बदल जाए। एक कुम्हारन थी जिसने शिष्यों की सहायता की थी। कुम्हारन की इस बात से तपस्वी खुश हो गये। तपस्वी ने उस पर दया करते हुए कहा कि तुम अभी इसी वक्त इस गांव से चली जाओ। वरना तुम भी पत्थर की बन जाओगी। तपस्वी ने उस कुम्हारन से कहा कि गांव से जाते वक्त पीछे मुड़कर ना देखे। कुम्हारन गांव से बिना कुछ सोचे समझे चली गई। लेकिन विनाश काले विपरीत बुद्धि...कुम्हारन के मन में यह संदेह होने लगा कि तपस्वी की बात सच भी है या नहीं..। उसकी यही जिज्ञासा मन ही मन बढ़ने लगी। और पता नहीं उसकी बुद्धि जैसे भ्रष्ट हो गयी थी। उसने तपस्वी की बात को गंभीरता से नहीं लिया। और गांव से जाते वक्त उस बूढ़ी महिला ने पीछे मुड़कर देख लिया वह बूढ़ी महिला उसी समय पाषाण में बदल गयी। सेहणी गांव में आज भी उस महिला की पत्थर की मुर्ति है जो उस बात की याद दिलाती है। एक बार पैरानॉर्मल सोसायटी ऑफ इडिया ने यहा इलेक्ट्रो मैग्नीट फील्ड को मापने वाला उपकरण रखा था तो पाया कि यहां इंसानों के अलावा कोई दूसरी ताकत भी मौजूद है।
एक आदमी ने सच जानने का किया साहस और हो गई मृत्यु
एक बार एक आदमी जिज्ञासा के चलते रात में किराड़ू के इस मंदिर में ठहर गया था। इस बात को सिद्ध करने के लिए कि यह सब बातें केवल अफवाह है। उस नास्तिक ने वहां पर रात गुज़ारने का निर्णय लिया। सभी लोगों ने उसे रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन वह इस बात पर अड़ गया था। वह रात में रूका और सुबह जब मंदिर में चहल-पहल शुरु हुई और कुछ देर बाद पता चला कि उस आदमी का मौत हो गयी है। ना शरीर में कोई घाव का निशान ना दम घुटने का कोई सुराग। ना कोई मंदिर के अंदर आया ना कोई बाहर गया। कुछ खाने पीने का भी संकेत नहीं। रिपॉर्ट के अनुसार हार्ट अटैक का भी संकेत नहीं। तो फिर उस आदमी की मृत्यु कैसे हुई। यह सवाल विज्ञान को भी अपने आगे नतमस्तक कर देता है। तब से कोई भी व्यक्ति वहां पर शाम होने का बाद रूकने का साहस नहीं करता है। पास के गांव वालो का कहना है कि इस गांव में कोई दूसरी ताकत होने का एहसास बार-बार करवाया गया है। लेकिन मन में यह बात जरूर उठेगी कि श्राप तो उस गांव में रहने वाले निवासियों को मिला था। तो यह आज के भक्तों पर कैसे लागू हो सकता है। और यह श्राप केवल रात में ही क्यों लागू होता है। दिन में क्यों नहीं..। यह सब बात कहां तक सत्य है। यह तो स्वयं भगवान शंकर ही जानते है।
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