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खुले बालों में चीखती-चिल्लाती महिलाएं, अजीब व्यवहार करते पुरुष, यहां के भूत मेले में दूर-दूर से पहुंचते हैं लोग..

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खुले बालों में चीखती-चिल्लाती महिलाएं, अजीब व्यवहार करते पुरुष, यहां के भूत मेले में दूर-दूर से पहुंचते हैं लोग..
Bhoot Mela Ganga Ghat कानपुर | हमारे देश भारत में अंधविश्वास हमेशा से एक बड़ी समस्या रही है. एक बार फिर से कानपुर की गंगा घाटों में अंधविश्वास का खेल देखने को मिला. आप भी इन तस्वीरों को देख कर चौक जाएंगे क्योंकि यहां आज भूतों और तांत्रिकों का मेला लगा. तस्वीरें भी ऐसी की देख कर ही रूह कांप जाए.  खुले बालों में चीखती-चिल्लाती महिलाएं हो या फिर अजीबोगरीब व्यवहार करते पुरुष. आखिर आज गंगा की घाटों में ये क्या हो रहा है? बता दें कि यह मेला पिछले कई 100 सालों से गंगा के घाटों में लगता है. यहां दूर-दूर से लोग अपनी भूत बाधा दूर करने पहुंचते हैं.

तांत्रिकों से करनी होती है पहले से बात

उत्तर प्रदेश के लखनऊ से अपनी बेटी का भूत भगाने के लिए Bhoot Mela Ganga Ghat पहुंचे राम बल्लभ शर्मा ने बताया कि यह इतना आसान नहीं है. उन्होंने कहा कि इस काम के लिए तांत्रिकों से पहले से कॉटेक्ट में रहना पड़ता है. उन्होंने कहा कि तांत्रिक पहले से पूजा सामग्री की लिस्ट देते हैं जिसे लेकर आज के विशेष दिन यहां पहुंचना होता है. उन्होंने कहा कि मैंने यहां आए कई लोगों से सुना है कि इससे यहां भूत बाधा दूर हो जाती है. उन्होंने कहा कि मेरी बेटी है पिछले 4 सालों से परेशान हैं और डॉक्टरों के चक्कर लगाकर हम सब परेशान हो गए हैं. लेकिन आज जब यहां पहुंचे तो पूजा पाठ के बाद से ही बेटी में कुछ चमत्कारी परिवर्तन देखने को मिले हैं. ऐसा लगता जय की अब सब ठीक हो गया है. इसे भी पढ़ें- Uttar Pradesh : धर्मांतरण कराने के लिए मिलते थे विदेश से पैसे, ATS ने रैकेट का खुलासा करते हुए 2 मौलानाओं को किया गिरफ्तार

सैकड़ों साल से लगता है मेला

गंगा के तट पर दुकान लगाने वाले सोहन का कहना है कि यहां सैकड़ों सालों से मेला लगता रहा है. उसने बताया कि बाप दादा से भी हमने इस मेले के बारे में सुना है. हालांकि सुमन का कहना है कि दशहरा के समय यहां पर विशेष भीड़ उमड़ती है. उसने कहा कि इसके लिए पहले से विशेष तिथियां निर्धारित कर दी जाती है. सोहन का कहना कि मेरे होश संभालने के बाद से मैंने कई बार लोगों को संतुष्त होकर जाते देखा है. सोहन ने कहा कि इसलिए हम तो इन सब पर विश्वास करते हैं. सोहन का कहना है कि खासकर एकादशी और पूर्णिमा को इस मेले का आयोजन किया जाता है . उन्होंने ये भी बताया कि कोरोना का कारण इस बार बहुत ज्यादा समय के बाद यहां मेला लगाया गया है. इसे भी पढें- Salute : एक ओर अपने बच्चे को तो दूसरी ओर वैक्सीन बांधे ग्रामीण इलाकों में टीके के लिए नदी पार कर जाती मानती की कहानी…  
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