अहमदाबाद। गुजरात में आतंकवाद और संगठित अपराध संबंधी कड़े और कुछ हद तक विवादास्पद कानून गुजरात आतंकवाद एवं संगठित अपराध नियंत्रण कानून (गुजसीटाक) के तहत पहला मामला अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने जेल में बंद कुख्यात गैंगस्टर विशाल गोस्वामी तथा उसके गिरोह के कुछ सदस्यों के खिलाफ दर्ज किया है।
पुलिस ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि यह मामला गुजसीटाक कानून की धारा 3 के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 188, 387, 507, 120 (बी) और जेल अधिनियम की धारा 42, 43, 45 (12) के तहत दर्ज किया गया है। हत्या, हत्या के प्रयास, लूट और धमकी देकर पैसे वसूलने जैसे अपराधों के कुल 51 मामले इस गिरोह के खिलाफ गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में दर्ज हैं।
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विशाल और उसके साथ ही यहां साबरमती सेंट्रल जेल में बंद उसके गिरोह के दो सहयोगी अजय उर्फ आशुतोष गोस्वामी और रिंकू उर्फ राज गोस्वामी मोबाइल फोन के जरिये बाहर स्थित अपने गिरोह के अन्य सदस्यों की मदद से व्यापारियों को जान से मारने की धमकी देकर पैसे की मांग करते थे और अपने खिलाफ दर्ज अपराधों के गवाहों को भी धमकाते थे। क्राइम ब्रांच के डीसीपी दीपेन भद्रन ने उनके खिलाफ गुजसीटाक कानून के तहत कार्रवाई के लिए एक रिपोर्ट तैयार कर पुलिस आयुक्त को भेजी थी।
मंजूरी मिलने पर उक्त मामला दर्ज किया गया है। जेल में बंद विशाल और उसके दोनो साथियों के पास से तीन मोबाइल फोन मिले हैं।
इसके अलावा इस गिरोह के अहमदाबाद में रहने वाले चार अन्य सदस्यों विजेन्द्र, अनुराग, सूरज और जय को भी पकड़ कर उनके पास से एक पिस्तौल, 50 कारतूस, 20 फोन, अपराध में इस्तेमाल की गयी कार और मोटरसाइकिल बरामद की गयी है। ज्ञातव्य है कि गुजसीटाक कानून को पिछले साल एक दिसंबर से लागू किया गया था।
इस कानून को महाराष्ट्र के कड़े आतंकवाद विरोधी मकोका कानून की तर्ज पर तैयार किया गया है। पूर्व में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी तीन मौकों पर नहीं मिल पायी थी। पिछले साल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से इसे मंजूरी मिलने पर इसे लागू किया गया है। इससे संबंधित विधेयक को सबसे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासनकाल में गुजरात विधानसभा ने पारित किया था। बाद में राष्ट्रपति की ओर लौटाये जाने पर इसे कुछ संशोधनों के साथ बार-बार पारित किया गया था।