उत्तर प्रदेश

अखिलेश, प्रियंका की रैलियों में उमड़ी भीड़ बनी बीजेपी की चिंता का सबब

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अखिलेश, प्रियंका की रैलियों में उमड़ी भीड़ बनी बीजेपी की चिंता का सबब
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की बुंदेलखंड में शुरु हुई विजय रथ यात्रा को मिल रहे जबर्दस्त समर्थन से राज्य की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। अखिलेश यादव बुधवार से तीन दिन तक बुंदेलखंड दौरे पर हैं। सपा अध्यक्ष ने बुधवार को बांदा और महोबा में और गुरूवार को ललितपुर में रैलियां कीं। 3 दिसंबर को वे झांसी में विजय रथ यात्रा का आगाज करेंगे। up assembly election BJP कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के बुंदेलखंड दौरे के दौरान उनकी रैलियों में भी लोगों में जबर्दस्त उत्साह देखने को मिला था। अखिलेश और प्रियंका की रैलियों में जुटी भीड़ कानपुर - बुंदेलखंड क्षेत्र में बड़े बदलाव का संकेत दे रही है। सपा समर्थक और मीडिया अखिलेश की रैलियों में उमड़ने वाली भीड़ की फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर शेयर कर रहे हैं। रिटायर्ड आईएएस अफसर सूर्य प्रताप सिंह समेत कई सोशल ऐक्टिविस्ट का मानना है कि ये भीड़ आने वाले चुनाव में बदलाव के रूझान  को साफ दर्शा रही है। बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र की 52 में से 47 सीटों पर और 2019 के लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र की 10 में से 10 सीटों पर  जीती थी। पर अखिलेश और प्रियंका की रैलियों में लोगों की स्वत:स्फूर्त भागीदारी आगामी चुनावों में बीजेपी के मंसूबों पर पानी फेर सकती है। अखिलेश यादव ने बांदा, महोबा और ललितपुर में विशाल रैलियों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘डबल इंजन’ की सरकार बुंदेलखंड आते-आते फेल हो चुकी है। अखिलेश यादव ने रैली में बुंदेलखंड के लोगों के पलायन, खाद के लिए किसानों की आत्महत्या, महंगाई, अन्ना जानवरों व पानी की समस्या को लेकर बीजेपी सरकार पर जमकर प्रहार किये। उन्होंने यहां भी एक नारा दिया कि, ‘‘बुन्देलखण्ड यही पुकारता, नहीं चाहिए भाजपा’। यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने बुंदेलखंड में रैलियों को संबोधित करते हुए केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने महंगाई के मुद्दे पर घेरते केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। तंज भरे लहजे में अखिलेश ने कहा, ‘महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। ये वही लोग हैं, जिन्होंने कहा था कि चप्पल पहनने वाले लोगों को हम हवाई यात्रा करवाएंगे। पेट्रोल-डीजल इतना महंगा हो गया है कि गरीब की गाड़ी नहीं चल सकती।’ नीति आयोग के आंकड़ों के मुताबिक बुंदेलखंड में 32 लाख से ज्यादा लोगों के गरीबी रेखा के नीचे हैं। इसपर अखिलेश ने वादा किया कि विधानसभा चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर सरकारी बजट से इन गरीबों की मदद की जाएगी।  अखिलेश यादव और प्रियंका गांधी को बुंदेलखंड में मिल रहे जबर्दस्त समर्थन से बीजेपी की चिंता का सबब बन सकती है। किसान आंदोलन के कारण पश्चिमी यूपी में जमीन खो चुकी बीजेपी को पूर्वांचल के अलावा बुंदेलखण्ड से काफी उम्मीदें हैं। प्रदेश के इस पिछडे़ क्षेत्र के विकास को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार और योगी सरकार लगातार अपना फोकस बनाए हुए है। इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए रखने के लिए बीजेपी की डबल इंजन की सरकार ने एक योजना के तहत इस इलाके में बुंदेलखण्ड एक्सप्रेस वे, हर घर नल योजना, डिफेंस कोरीडोर और ललितपुर में मेडिकल कॉलेज जैसी परियोजना का बड़ा तोहफा दिया है। इसके अलावा बीजेपी ने बुंदेलखंड के विकास के लिए एक बोर्ड भी बनाया गया है। पर जमीन पर हालात अभी जस के तस हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जल्द ही एक बड़ी रैली कर बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का लोकार्पण और अन्य परियोजनाओं का शुभारंभ कर सकते हैं। पर मंहगाई, खाद - पानी की समस्या, हाल के महीनों में खाद न मिलने से किसानों द्वारा आत्महत्या किये जाने की घटनाओं तथा छुट्टा जानवरों से खेतों की फसलों के नुकसान की समस्या से बीजेपी के प्रति जनता में नाराजगी बढ़ी है। मुख्य विपक्षी दल - सपा, कांग्रेस और बीएसपी इसे भुनाने में जुट गयी हैं। Read also मुफ्त की राजनीति पर आप का पेटेंट up assembly election BJP up assembly election BJP बुंदेलखंड कभी कांग्रेस का गढ़ रहा है। आजादी के बाद से देखा जाए तो बुंदेलखंड में कांग्रेस का एकछत्र राज्य रहा है। यहां तक कि आपातकाल के बाद हुए चुनावों में भी बुंदेलखंड में कांग्रेस की स्थिति बहुत बुरी नहीं थी। लेकिन 80 के दशक के बाद बुंदेलखंड में राजनीतिक बदलाव की शुरुआत शुरु हुई। बीएसपी संस्थापक कांशीराम व मायावती ने दलित बाहुल्य बुंदेलखंड क्षेत्र में दलितों और मुस्लिम को अपने साथ जोड़ना शुरु किया। दूसरी तरफ बीजेपी ने धुर हिंदुत्व को धार देना शुरु किया। मंडल कमीशन के दौर में जातिवाद व आरक्षण की राजनीति का दौर शुरु हुआ। मुलायम सिंह ने समाजवादी पार्टी का गठन कर यादव व मुस्लिम गठजोड़ को अमली जामा पहना अपना आधार बढ़ाया। मुलायम सिंह को इसमें बड़ी कामयाबी मिली। यही कारण है कि हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में बीजेपी, सपा और बीएसपी का प्रभुत्व बढ़ा है। राम मंदिर और हिन्दूवादी राजनीति के सहारे बीजेपी ने 2014 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में भारी सफलता प्राप्त की। बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में कानपुर-बुंदेलखंड की 52 में से 47 सीटों पर कमल खिलाकर क्षेत्र में लगभग क्लीन स्वीप कर दिया था। यही हाल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला जब बीजेपी ने इस क्षेत्र की 10 में से 10 सीटों पर शानदार जीत दर्ज कर विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया था। (up assembly election BJP) बुंदेलखंड में कांग्रेस की खोई जमीन हासिल करने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बुंदेलखंड के एक सुनियोजित योजना पर काम कर रहे हैं। दोनों नेता चित्रकूट दौरे पर आ चुके हैं। प्रियंका गांधी बीजेपी को उसी के हथियार से मात देने के लिए खुद को खांटी ब्राह्मण बताने के साथ हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाला नेता बताने में जुट गयी हैं। हाल में बुंदेलखंड दौरे के दौरान उन्होंने चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के किनारे नाव पर बने मंच से स्कूली बच्चियों और महिलाओं को संबोधित किया था। ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ की थीम पर आयोजित प्रियंका के इस कार्यक्रम ने मीडिया में जबर्दस्त सुर्खियां बटोरी थीं। चित्रकूट में उन्होंने रामघाट स्थित मत्तगजेन्द्रनाथ शिव मंदिर और दतिया के पीतांबरा देवी के मंदिर में पूजा अर्चना कर बुंदेलखंड के वोटरों को प्रभावित करने की शुरुआत कर दी है। प्रियंका गांधी भी बुंदेलखंड में किसानों, खाद - पानी, पिछड़ेपन महिलाओं पर जुल्म जैसे स्थानीय व ज्वलंत मुद्दों को उठाकर लोगों के दिलों में घर बनाने में जुटी हुई हैं। अब इसका असर भी देखने को मिल रहा है। पर प्रियंका का ये अभियान वोटों में बदलेगा या नहीं, ये आने वाले विधानसभा चुनाव में ही पता लगेगा। विधानसभा चुनाव 2022 में बुंदेलखंड में बीजेपी के लिए अपना पिछला प्रदर्शन दोहराना एक बड़ी चुनौती है। महज बुंदेलखंड क्षेत्र के सात जिलों में फैले इस क्षेत्र में चार लोकसभा और 19 विधानसभा की सीटें हैं। इसमें जालौन जिले में तीन, झाँसी में चार, ललितपुर में दो, हमीरपुर में दो, महोबा में दो, बांदा में चार और चित्रकूट में दो विधानसभा की सीटें हैं। बीजेपी ने 2017 के चुनावों में शानदार प्रदर्शन करते हुए सभी 19 सीटों पर विजय हासिल कर सूपड़ा साफ कर दिया था। 2012 में प्रदेश में सपा की सरकार बनी थी। उस साल पार्टी ने बुंदेलखंड में सर्वाधिक 6 सीटें जीती थीं जो उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। लेकिन अगले चुनाव 2017 में पार्टी बुंदेलखंड में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। 2007 के चुनाव में बीएसपी ने इस क्षेत्र में सबसे अधिक 14 सीटें जीती थीं। सपा ने उस साल चार और कांग्रेस ने तीन सीटों पर विजय दर्ज की थी। जातीय समीकरण व सामाजिक ताने बाने को देखते हुए माना जा रहा है कि आगामी चुनाव में इस क्षेत्र में एक बार फिर चतुष्कोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है। ऐसे में कांग्रेस के उभार से बीजेपी की राज्य में फिर सत्ता में वापसी की राह मुश्किल हो सकती है। up assembly election BJP
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