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साढे चार साला योगी राज का पहला विकट संकट

लखनऊ। ”दंगामुक्त उत्तर प्रदेश” आज केन्द्र सरकार के एक मंत्री के परिवारीजन की करतूत के कारण गुस्से और आंदोलन, हिंसा की आग में झुलस रहा है। रविवार को लखीमपुर खीरी में किसानों को रौंदे जाने की घटना ने पूरे राज्य को आंदोलन की आग में झोंक दिया है। कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, रालोद के जयंत चौधरी, प्रसपा नेता शिवपाल सिंह यादव और आप के नेता  संजय सिंह के येन केन प्रकारेण लखीमपुर जाने की जद्दोजहद से विरोध को जबरदस्त हवा मिली है। इससे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहली बार हलकान नजर आये। अपनी दबंग स्टाइल से यूपी की कानून व्यवस्था को काबू में करने काफी हद तक सफल रहे सीएम योगी को पहली बार ऐसी चुनौतीपूर्ण स्थिति से दो-चार होना पड़ रहा है। योगी अपनी सभी मीटिंगों में विकास और सुशासन के अन्य दावों के साथ यूपी को हिंसा, दंगामुक्त करने का दावा करते रहे है। लेकिन लखीमपुर की घटना ने उन्हें पहली बार शर्मशार कर दिया। UP Lakhimpur Kheri Violence

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लखीमपुर खीरी में कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों को रौंदे जाने की घटना के कारण यूपी में जगह जगह विरोध प्रदर्शन हुए है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मंगलवार को एक दिवसीय दौरे पर लखनऊ आने का कार्यक्रम है। इस चुनौतीपूर्ण माहौल में राज्य के हालात पर काबू के लिए सीएम योगी ने आज बहराइच और श्रावस्ती का प्रस्तावित दौरा रद्द कर दिन भर मीटिंग करने और हालातों की समीक्षा की। सीएम योगी ने रात में ही राज्य के कृषि उत्पादन आयुक्त देवेश चतुर्वेदी, एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार और अन्य शीर्ष अधिकारियों को लखीमपुर खीरी रवाना कर दिया था।

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केन्द्र सरकार के मंत्री के परिवारीजन की हेकड़ी के कारण उपजे हालात के बीच सीएम योगी के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती लखीमपुर खीरी में आंदोलनरत किसानों को शांत करना था। सीएम योगी और राज्य सरकार कल रात से ही इस कोशिश में थे कि यह आग प्रदेश के अन्य जिलों में न पहुंच पाये। सरकार की समस्या यह थी कि अगर किसान नहीं मानते हैं तो प्रधानमंत्री के दौरे पर भी इसका असर पड़ सकता है। इसलिए किसानों के गुस्से को शांत करना राज्य सरकार की आज पहली प्राथमिकता थी। योगी के निर्देश पर राज्य सरकार की मशीनरी ने इस काम को बखूबी अंजाम दिया।

राज्य सरकार के सूत्रों की माने तो इसके लिए राकेश टिकैत के सिपहसलारों के साथ सम्पर्क साधा गया और किसानों को मनाने, उनके शवों को पोस्टमार्टम कराने के लिए तैयार कराने का आग्रह किया गया। राकेश टिकैत ने भी मौके की नजाकत को देखते हुए मामले को ज्यादा न खींचते हुए पुलिस प्रशासन और किसान संगठनों के बीच समझौता कराया। सरकार और राकेश टिकैत की कई राउंड की मीटिंग के बाद लखीमपुर खीरी में किसानों और सरकार के बीच सहमति बन गयी। इसके अनुसार सभी मृतक किसानों को 45-45 लाख रुपये व घायलों को 10-10 लाख रुपये मिलेंगे। मामले की न्यायिक जांच होगी। इसके अलावा परिवार के 1 सदस्य को सरकारी नौकरी मिलेगी।इसका एलान राकेश टिकैत और प्रशांत कुमार ने तिकुनिया में साझा प्रेस कांफ्रेंस में किया।

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