कांग्रेस पार्टी ने राज्यसभा की 10 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया, जिसमें तीन नाम उत्तर प्रदेश के नेताओं का है। उत्तर प्रदेश के राजीव शुक्ल को छत्तीसगढ़ से, प्रमोद तिवारी को राजस्थान से और इमरान प्रतापगढ़ी को महाराष्ट्र से राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया गया है। सबसे पहला यक्ष प्रश्न की तरह का प्रश्न है कि इन तीनों की क्या योग्यता है, जिसकी कांग्रेस को राज्यसभा में जरूरत है और जिसकी वजह से अलग अलग राज्यों से उच्च सदन में भेजा जा रहा है? जिन राज्यों से इन लोगों को राज्यसभा भेजा जा रहा है उन राज्यों के नेताओं और कार्यकर्ताओं की जी-तोड़ मेहनत के दम पर पार्टी ऐसी स्थिति में है कि वह राज्यसभा की सीट जीत सके। लेकिन उनकी बजाय ऐसे नेता भेजे गए, जिनकी उस राज्य में तो कोई भूमिका नहीं ही है, अपने राज्य में भी कोई भूमिका नहीं है।
सोचें, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने अपने इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन किया है। प्रियंका गांधी वाड्रा को चुनाव में झोंकने के बावजूद कांग्रेस चार सौ सीट लड़ कर सिर्फ दो सीट जीत सकी। कांग्रेस को ढाई फीसदी वोट भी नहीं मिले। उसके तीन सौ उम्मीदवारों को दो-दो हजार के करीब वोट मिले हैं। क्या इतिहास के सबसे खराब प्रदर्शन के लिए राज्य के तीन नेताओं को इनाम दिया गया है? कांग्रेस के नेता बता रहे हैं कि प्रियंका गांधी वाड्रा ने ये नाम तय कराए हैं। अगर ऐसा है तो प्रियंका के सहारे कांग्रेस के उद्धार की उम्मीद लगाए नेताओं को उम्मीद छोड़ देनी चाहिए। क्योंकि इन नेताओं से उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस को कुछ हासिल नहीं होना है, वह पिछले चुनाव में प्रमाणित हुआ। जिन राज्यों से इनको राज्यसभा भेजा जा रहा है वहां भी इनकी कोई जरूरत नहीं है। पता नहीं प्रियंका ने किस आधार पर इनके नाम तय कराए? निजी निष्ठा या कुछ और कारण है?
यूपी के नेताओं को किस बात का इनाम?
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