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यूपी, उत्तराखंड में उपाध्यक्ष क्यों नहीं

ByNI Political,
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यूपी, उत्तराखंड में उपाध्यक्ष क्यों नहीं
इस साल फरवरी-मार्च में देश के पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए थे और अब नतीजे आए छह महीने से ज्यादा हो गए हैं। सभी राज्यों में विधानसभा के दो-दो सत्र हो चुके हैं लेकिन अभी तक दो राज्यों- उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विधानसभा उपाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हुई है। मणिपुर, गोवा और पंजाब में विधानसभा उपाध्यक्ष की नियुक्ति हुई है। बाकी दो राज्यों- उपाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई है। वैसे यह कोई हैरानी की बात नहीं होनी चाहिए क्योंकि भाजपा की केंद्र सरकार भी पिछले तीन साल से ज्यादा समय से बिना लोकसभा उपाध्यक्ष के ही काम कर रही है। कई बार यह मुद्दा उठा लेकिन सरकार ने उपाध्यक्ष की नियुक्ति जरूरी नहीं समझी है। उत्तर प्रदेश में भाजपा के सतीश महाना को 29 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष चुना गया था। अभी तक उपाध्यक्ष का पद खाली है। उत्तराखंड में 26 मार्च को रितु खंडूरी भूषण को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया था और अभी तक उपाध्यक्ष का पद खाली है। सवाल है कि दोनों राज्यों में भाजपा ने किस इंतजार में उपाध्यक्ष का पद खाली रखा है। जानकार सूत्रों के मुताबिक यह बिना किसी मकसद के नहीं है। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में सपा के नेता अखिलेश यादव ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को कहा कि वे सौ विधायकों के साथ आ जाएं और मुख्यमंत्री बन जाएं। जवाब में भाजपा ने कहा कि सपा के विधायक उसके संपर्क में हैं। बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में सपा के और उत्तराखंड में कांग्रेस के विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। ऐसा लग रहा है कि विपक्षी पार्टियों से आने वाले किसी नेता के लिए दोनों राज्यों में उपाध्यक्ष पद खाली रखा गया है। ध्यान रहे पिछली विधानसभा में भी उत्तर प्रदेश में भाजपा ने सपा छोड़ने वाले नितिन अग्रवाल को उपाध्यक्ष बनाया था।
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