लखनऊ। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के गठन के सौ दिन पूरे होने के जश्न की खुमारी अभी उतरी भी नहीं थी कि राज्य के दो मंत्रियों की नाराजगी, जिसमें एक दलित मंत्री हैं ने सरकार की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया है। जल शक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने योगी सरकार पर स्थानांतरण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर सरकार की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गयी है।
इससे प्रतीत होता है सूबे की सरकार में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। योगी सरकार के लोकनिर्माण (पीडब्ल्यूडी) मंत्री जितिन प्रसाद और जल शक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने योगी सरकार की वर्किंग को लेकर नाराजगी जताई है। जल शक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने अपने इस्तीफे की चिट्ठी जारी कर दी है। हालांकि दिनेश खटिक ने अपना इस्तीफ़ा मुख्यमंत्री और राज्यपाल को ना भेजकर केंद्रीय गृह मंत्री को भेजा है। जिसमें उन्होंने नमामि गंगे योजना में बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार और विभाग में हुए तबादलों तथा विभागीय मंत्री द्वारा उन्हें कोई काम ना देने तथा अफसरों द्वारा उनकी अनदेखी करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। अपने इस्तीफे वाली इस चिट्ठी में दिनेश खटीक ने खुद के दलित होने के चलते अधिकारियों द्वारा उपेक्षा किए जाने का मुद्दा भी उठाया है।
योगी सरकार के कई अन्य मंत्री जिनमे उप मुख्यमंत्री भी शामिल हैं, अधिकारियों द्वारा की जा रही अनदेखी से नाराज हैं। जितिन प्रसाद और उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक की नाराजगी की अपनी वजहें हैं। इन दोनों के विभागों में हुए तबादलों को लेकर मुख्यमंत्री के स्तर से बड़े अफसरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है, जबकि बृजेश पाठक ने तबादलों को लेकर अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य को पत्र लिखकर जवाब मांगा था, जो उन्हें अब तक नहीं मिला है। बृजेश पाठक लगातार स्वास्थ्य विभाग को आम लोगों से कनेक्ट करने की कोशिश करते दिख रहे हैं। लेकिन, विभागीय अधिकारी उनकी सुन ही नहीं रहे।
अब रही बात जितिन प्रसाद की नाराजगी की तो उनके विभाग में हुए तबादलों को लेकर योगी सरकार ने जितिन के ओएसडी अनिल कुमार पांडेय को दोषी माना। और केंद्र से राज्य में प्रतिनियुक्ति पर आए जितिन के ओएसडी की सेवा वापस कर दी गई तथा पीडब्ल्यूडी के विभागाध्यक्ष पर कार्रवाई की गई लेकिन यहां भी तबादलों के जिम्मेदार आईएएस अफसरों को बचाया गया। इस पूरे मामले में विभागीय मंत्री की छवि पर भी असर पड़ा। अब जितिन प्रसाद अपनी छवि को केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष चमकाने की कोशिश करने के लिए दिल्ली में अमित शाह से मिलने पहुंच गए हैं।
दिनेश खटीक की नाराजगी को देखा जाए तो यूपी सरकार में राज्य मंत्रियों की स्थिति का पता चलेगा। आम तौर पर राज्य मंत्री को विभाग में कुछ कामकाज का आवंटन किया जाता है, लेकिन यह पूरी तरह से कैबिनेट मंत्री के विवेक पर निर्भर करता है कि वे विभाग से संबद्ध राज्य मंत्री को क्या काम देते हैं। जल शक्ति विभाग के कैबिनेट मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह हैं। वे भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। इसके बाद भी उन्होंने दिनेश खटीक को विभागीय दायित्व नहीं दिए, जिसका जिक्र दिनेश ने अपने पत्र में किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी यह पता है कि उनके मंत्रियों ने राज्य मंत्रियों को काम का बंटवारा ठीक से नहीं किया है। इसके अलावा सीनियर अधिकारी कैबिनेट मंत्री की अनदेखी करते हैं. इसके बाद भी मुख्यमंत्री ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया, परिणाम स्वरूप अब जितिन प्रसाद और दिनेश खटिक केंद्रीय नेतृत्व को अपनी व्यथा बताने के दिल्ली में डेरा डाल हुए हैं और कई अन्य मंत्री भी अपनी पीड़ा केंद्रीय नेतृत्व को बताने के लिए समय मांग रहे हैं। अब जल्दी ही केंद्रीय नेतृत्व मुख्यमंत्री के साथ मिलकर नाराज मंत्रियों को संतुष्ट करने का प्रयास करेगा।