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ऐसा देश है मेरा...काशी विश्वनाथ को जिन्होंने तोड़ा हमने उनको भी बख्शी इज्जत, जानें किसने औऱ कितनी बार तोड़ा गया बाबा का धाम....

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ऐसा देश है मेरा...काशी विश्वनाथ को जिन्होंने तोड़ा हमने उनको भी बख्शी इज्जत, जानें किसने औऱ कितनी बार तोड़ा गया बाबा का धाम....
नई दिल्ली | Kashi Vishwanath PM Modi : 2014 के बाद से काशी विश्वनाथ और प्रधानमंत्री मोदी का रिश्ता अटूट हो गया है. आज पीएम मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण कर अपना कर्ज चुका दिया. लेकिन क्या आपको पता है काशी विश्वनाथ मंदिर को कई बार तोड़ने और उसके कण-कण को विध्वंस करने की कोशिश की गई है. इतना ही नहीं जिन लोगों ने ऐसा करने की कोशिश की उन पर भी हमने प्यार लुटाया. आज भी देश की राजधानी दिल्ली में कई सड़कें उनके नाम से जानी जाती है. बता दें कि काशी विश्वनाथ हमेशा से हिंदुओं की आस्था का एक बड़ा केंद्र रहा है. यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से भी एक है. इसके साथ ही इसका गंगा घाट से सीधा जुड़ाव धार्मिक दृष्टि से भी से इसे विशेष बनाता है. Kashi Vishwanath PM Modi :

कुतुबुद्दीन के नाम पर सड़क

Kashi Vishwanath PM Modi : कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर दिल्ली में एक सड़क है जिसका नाम कुतुब रोड है. लेकिन क्या आपको पता है कि ऐबक दिल्ली सल्तनत का संस्थापक और गुलाम वंश का पहला सुल्तान था. इतिहास शास्त्रियों ने माना है कि 1194 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने काशी विश्वनाथ मंदिर पर हमला किया था. उसने इस मंदिर को तहस-नहस कर दिया था. बाद में काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण फिर से 100 साल बाद एक गुजराती व्यापारी ने करवाया था.

शाहजहां और औरंगजेब का भी है नाम

Kashi Vishwanath PM Modi : शाहजहां का नाम तो भारत में ताजमहल के लिए जाना जाता है. लेकिन यह भी एक सच है कि 1642 में उन्होंने काशी विश्वनाथ में स्थित बाबा के मंदिर को तोड़ने के आदेश जारी किए थे. हालांकि हिंदुओं के भारी विरोध और 63 छोटे मंदिरों को तोड़ने के बाद ऐसा किया नहीं जा सका था. Kashi Vishwanath PM Modi : इसे भी पढ़ें- ‘दंगल’ की गर्ल फातिमा सना शेख, सान्या मल्होत्रा ‘सैम बहादुर’ की कास्ट में शामिल Kashi Vishwanath PM Modi : औरंगजेब ने भी काशी विश्वनाथ और मथुरा के केशवराय मंदिर को तोड़ दिया था. मुगल शासन काल का यह छठा शासक काफी क्रूर माना जाता था. औरंगजेब के नाम पर भी सड़क थी जिसे बाद में बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया. इस घटना के 100 साल बाद इंदौर के शासक देवी अहिल्या बाई ने 1780 में इसका फिर से निर्माण कराया. इसे भी पढ़ें-भारत ने दिखाई ताकत! लाॅच की SMART एंटी शिप मिसाइल, चीन के बढ़ते कदमों को रोकने में होगी सक्षम
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